STORYMIRROR

Kunda Shamkuwar

Abstract

4  

Kunda Shamkuwar

Abstract

बंद खिड़कियों के पीछे

बंद खिड़कियों के पीछे

1 min
281

बंद दरवाजे के बारे में तुमसे मैं कुछ नही कहूँगी।क्योंकि मुझे पता है कि तुम यही कहोगे की तुमको मैं महफ़ूज रखना चाहता हुँ।और इस बात को दुनिया मे कोई भी झुठला नही सकता।

हाँ,उस बंद दरवाजें के पीछे तुम मेरे साथ क्या क्या करते हो यह तुम भी जानते हो और मैं भी।बस कोई और नही।हाँ,बच्चों के बारे में क्या कहु?

कभी कभी बच्चें जल्दी बड़े हो जाते है।

मुझसे तुम कहते रहते हो की मैं नाटक करती रहती हुँ।ड्रामा करती हुँ।

उस बंद दरवाजों के पीछे के सच को लोगों से छुपाने को तुम ड्रामा कहते हो।नाटक कहते हो।


'हम दोनों' बेहद खुश है।इस भ्रम में लोगों को रखने का कठिनतम काम मेरे जिम्मे होता है।

जब घर में मेहमान आते है तब वह तुम्हारी अच्छा बनने की सारी कोशिशें!

उस वक़्त मुझे तुम्हारे दोगलेपन की घिन आती है।

लेकिन फिर मुझे मेहमानों के सामने ड्रामा करना पड़ता है।

मै मुस्कुराती रहती हुँ .... 

और मेहमानों से हँस हँस कर बातें करती रहती हूँ.... 

इसलिए मुझे हमेशा ही बंद दरवाजों से ज्यादा बंद खिड़कियाँ भाती है।क्योंकि उनमे रोशनी की गुंजाइश होती है.....

यह कहानी को लिखने या ना लिखने की जद्दोजहद में बंद खिड़की उस बंद दरवाजे से जीत गयी है और यह कहानी आप के सामने है।रोशनी की हलकी सी गुंजाइश भी जिंदगी बदल देती है....


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract