Alok Singh

Abstract

4.5  

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ब्लैकमेल

ब्लैकमेल

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ये सिर्फ धर्मेन्द्र और राखी अभिनित फ़िल्म का नाम नहीं है

तो क्या है ब्लैकमेल ?

ब्लैकमेल वो कृत्य है जो कोई मनुष्य या संस्था तब करती है जब आपकी कोई कीमती या कमज़ोर या फिर आपके किसी अनुचित कार्य का कोई सबूत या तथ्य उनके हाथ लग गया हो और वो उसको उजागर न करने की क़ीमत आपसे वसूलते हैं जो किसी भी स्वरूप में हो सकती है

ये धन भी हो सकता है, या ज़मीन जायदाद या फिर कोई ऐसा काम जो आप किसी भी सामान्य परिस्थितियों में नही करते, इतना ही नहीं कभी कभी ये आपको गुनाह के दलदल में भी धकेल देते हैं।

हमारी बहू बेटियों को कभी कभी इस ब्लैकमेल से बचने के लिए ये क़ीमत शारिरिक शोषण के रूप में भी चुकानी पड़ती है और कई मर्तबा उनको ऐसी जगह पहुंचा देती है जहाँ स्थिति कहीं भयानक और वीभत्स होती है।

ब्लैकमेल का सिलसिला यूँ तो आपके बचपन से ही शुरू हो जाता है जिसको हम "इमोशनल ब्लैकमेल" भी कहते हैं, जब आपके माता पिता आपको सही रास्ते पर रखने के लिए आपसे पढ़ाई या पौष्टिक भोजन करवाने के लिए आपकी कोई भी पसंदीदा चीज़ का लालच देते हैं और वो तभी देते हैं जब आप उनकी बात मानते हैं और अमल भी करते हैं।

थोड़े बड़े होते हैं ये परंपरा भाई बहनों के बीच एक दूसरे के राज़ छुपाने के एवज में किये या करवाये जाते हैं।

स्कूल में यही काम दोस्त अलग अलग तरीके से करते हैं।

फिर जैसे ही आप युवावस्था में प्रवेश करते हैं तो आपका कोमल मन किसी न किसी तरफ आकर्षित होता है और आप प्रेम के फलसफों में उलझना शुरू कर देते हैं।

यहाँ से शुरू होता है एक अलग तरीके का ब्लैकमेल जिसको हम "रोमांटिक ब्लैकमेल" कह सकते हैं, क्योंकि अव्वल तो प्यार पहले ही आपके सोचने समझने की शक्ति को हर लेता है और उसपे कहीं एक भी प्रेमी धूर्त या मक्कार हुआ तो समझ लीजिए कि आप अपना सबकुछ लुटाकर भी बेखबर रहेंगे और जब समझ आती है तब तक आपका तमाशा बन चुका होता है।

अब आप नौकरी या व्यापार में घुसते हैं तो यही ब्लैकमेल एक नई परिभाषा में सामने आता है जिसे कहते हैं "प्रोफेशनल ब्लैकमेल" ये और भी खतरनाक होता है क्योंकि आंशिक लाभ के लिए ये सब तरह के गुनाह करवाता है जो आपने सोचे नही होते, क्योंकि यहाँ कहीं न कहीं डार्विन भैय्या का सिद्धांत भी लागू रहता है और व्व इस लिए क्योंकि पूरी तरह से पेशेवर प्रतिस्पर्धा हावी रहती है और उस सूरत में आपको केवल अपनी फिक्र होती है और निजी फायदे के लिए आप किसी को भी भावनात्मक या व्यावसायिक नुकसान पहुंचा देते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि राजनीति की बात तो की नहीं मैंने तो साफ कर देता हूँ कि ये भी उसी बीज की फसल है जो बीज हमने आपने जीवन मे अलग अलग स्तर पर बोये थे,

उसे "राजनैतिक ब्लैकमेल" कहते हैं उसकी एक अलग ही पराकाष्ठा है।

ब्लैकमेल चाहे जैसा भी हो इसे किसी भी स्तर से सही नहीं ठहराया जा सकता और यही शिक्षा हमें हमारे शिक्षण संस्थानों ने हमेशा दी है और सही भी है आखिर हमारे व्यक्तित्व के भविष्य की नींव वहीं तो रखी जाती है।

लेकिन क्या आज भी ऐसा है???

शायद नहीं!!!

आप सोच रहे होंगे कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ तो उसके पीछे कारण है।

हम सभी जानते हैं कि कोरोना के कारण सभी का जीवन अधर में आ गया है और अस्त व्यस्त हो गया है, आजीविका के स्रोत या तो खत्म हो गए हैं या फिर बहुत सीमित रह गए हैं इतने सीमित की दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल चल रही है। 

अगर कहीं किसी के घर में बुजुर्ग या बीमार हैं तो हाल और भी बुरे हैं।

स्कूल कॉलेज सभी ऑनलाइन प्रणाली को अपनाते हुए शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं जो कितनी कारगर होगी ये वक़्त बतायेगा लेकिन इसका जो सबसे बड़ा असर पड़ा है वो विद्यार्थियों और शिक्षकों पर, खासकर शिक्षक जो शायद उतने टेक सैवी नहीं थे जितना उनको रातों रात बनना पड़ा, और उनका घर किसी क्लासरूम में तब्दील हो गया और ज़िन्दगी एकदम झंड (माफ़ कीजियेगा लेकिन इससे बेहतर शब्द नही है मेरे पास) पूरे दिन चकरघिन्नी बने रहते हैं ये बेचारे।

स्कूल ब्लैकमेल कर रहा है कि ऑनलाइन क्लास में विद्यार्थी यदि कम हुए तो नौकरी से छुट्टी और साथ ही हर बच्चे के घर फोन करके फीस के लिए मिन्नतें करने का आदेश इस हिदायत के साथ कि आप किसी से कहेंगे नहीं।

इतना भी होता तो शायद गनीमत थी लेकिन स्कूल अभिभावकों को व्यक्तिगत तौर पर उनके मोबाईल पर संदेश भेज रहे हैं कि फलां तारीख तक फीस जमा करवा दें अन्यथा ये मान लिया जाएगा कि आप अपने बच्चे को ऑनलाइन पढ़ाने में कोई रूचि नहीं रखते और ये मान लिया जाएगा कि बच्चा क्लास में नहीं है।

इसी बीच टर्म परीक्षाएं ली जाती हैं और परिणाम घोषित करने के लिए ptm बुलाई जाती है ऑनलाइन अब यहाँ पर ये कहकर उक्त बच्चे के रिजल्ट को नहीं बताया जाता कि उसने फीस नहीं जमा की है या सिर्फ एक या दो महीने की ही फीस जमा की है और ऐसा ऑनलाइन मौजूद सभी अध्यापकों की उपस्थित में बताया जाता है, इससे तीन मुख्य कार्य विद्यालय प्रसाशन ने गलत किये 

अभिभावक की आर्थिक स्थिति का मज़ाक बनाना सभी अध्यापकों के सामने जो कि एक बहुत ही निजी होता है जो शायद वो अपने बच्चों से भी छुपाता है ताकि उनकी मानसिक स्थिति पर इसका प्रतिकूल असर न पड़े।

अभिभावक के ऊपर एक ऊपर अतिरिक्त मानसिक दबाव उसके बच्चे के भविष्य को लेकर जो कि फीस न चुका पाने की स्थिति में उस पर आता है।

विद्यार्थियों पर उनके अभिभावकों के प्रति एक नकारात्मक सोच या नज़रिया उत्पन्न करना।

इसको आज के परिवेश में हम "एजुकेशनल ब्लैकमेल" कह सकते हैं।

ऐसा नही है कि अभिभावक फीस नहीं देना चाहते वो क्यों नहीं देंगे आखिर उनके बच्चों के भविष्य का प्रश्न है, वो देंगे और अवश्य देंगे लेकिन क्या उनसे इस मुश्किल दौर में स्कूलों द्वारा पूरी फीस वसूलना उचित होगा?

शायद नहीं,

क्योंकि इस ऑनलाइन पढ़ाई के दौर में स्कूलों के अपने ऊपरी खर्चे जैसे कि उनके तमाम ऑपरेशनल खर्चे खत्म या ना के बराबर रह गए हैं तो उस बचत का सीधा फायदा अभिभावकों को मिलना चाहिए जिससे कि इस मुश्किल दौर  में दोनों की तरफ एक साझा पहल हो और दबाव भी कम हो।

नीयत होगी साफ तो रास्ते भी साफ नजर आएंगे नहीं तो पैसे की चकाचौंध में शिक्षा कहीं दम न तोड़ दे और विद्यार्थी शिक्षा!!!

विचार करके देखियेगा अवश्य क्योंकि ये हमारे आपके और देश के भविष्य से सरोकार रखता है।


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