कैप्टन मनोज पांडे-संस्मरण
कैप्टन मनोज पांडे-संस्मरण
कभी कभी अनजाने ही आप ऐसी जगह पहुँच जाते हैं जहाँ की न तो आपने उम्मीद की होती है न ही आभास होता है।
कुछ ऐसा ही आज हमारे साथ भी हुआ, आज एलपीजी कनेक्शन के लिए एजेंसी पर गए और सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद घर आ गया।
करीब एक घंटे बाद फोन बजा तो फोन की स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहा था शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय गैस एजेंसी, मैंने अपनी श्रीमती जी पूछा तो उन्होंने इसकी पुष्टि की और साथ ही बताया हम उनके पडोसी भी हैं।
हम अभी पिछले महीने ही एल्डकॉ ग्रीन्स में रहने के लिए आये थे, अब मैं अपनी उत्सुकता काबू नही कर पा रहा था।
शाम को जब अपने कनेक्शन के कागज़ लेने एजेंसी गया तो न तो अब मैं अनजान था और न ही बेखबर, ऑफिस में जा कर मैंने कैप्टन मनोज के परिवार जनों की जानकारी ली तो मालुम हुआ की उनकी माताजी तो घर चली गयीं हैं लेकिन पिताजी अंदर ऑफिस में बैठे हैं,
शायद इससे बड़ा सौभाग्य नही हो सकता की आप के सामने वो इंसान हो जिसने माँ भारती के ऐसे सपूत को जन्म दिया हो जिसने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और परम वीर चक्र से सम्मानित हुआ हो।
मैं अंदर ऑफिस में गया और इतना ही कहा की मैं बस उनके चरणों को प्रणाम कर अपने जीवन को धन्य करना चाहता हूँ।
यक़ीन मानिए उस वक़्त मेरे अंदर गर्व और शरीर का एक एक रोआँ मानो सम्मान में खड़ा हो
आज मैं धन्य हो गया और गौरान्वित हूँ की किसी न किसी बहाने उनसे सम्बंधित हो गया हूँ।
कह सकता हूँ की वीर शहीद नही होते वो तो बस लीं हो जाते हैं पञ्च तत्त्व में हमारी साँसों में रहने के लिए।।
कप्तान मनोज पाण्डेय आपको शत शत नमन।।
