MITHILESH NAG

Romance Inspirational

5.0  

MITHILESH NAG

Romance Inspirational

बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

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नैना हमेशा से कुछ अलग करना चाहती है, इसलिए वो हर वक़्त लोगो की मदद करती रहती थी, लखनऊ के चारबाग गली में रहती है, वो लोगो की छोटी मोटी मदद या उनके लिए काम करती है। उसको हमेशा से आज़ाद पंछी की तरह रहना पसंद था, इसलिए वो समाज सेवा करती।

एक दिन...

नैना के बगल वाले घर मे आंटी की तबियत खराब थी, और घर मे कोई नहीं था, जब उसको पता चला कि आंटी की तबियत खराब है तो उनके घर पर ही दो दिन उनकी सेवा करती रही....

“आंटी जी, समय समय पर दवा लिया करो नहीं तो आप कैसे ठीक होगी” ( दवा और पानी देते)

“क्या करूँ बेटी, मेरी उम्र हो चुकी है और अब जैसे तैसे सब कर रही हूँ, बेटा और बहू दिल्ली गए है वो पाँच दिन बाद आएँगे...”( कराहते हुए)

“ कोई बात नहीं , मैं हूँ मुझे खुशी होगी आपकी मदद कर के” (उनका हाथ पकड़ कर)

“ ठीक बोली बेटी, तुम ने मेरी दिन रात सेवा की भगवान करे तुम को प्यार करने वाला सब से अच्छा लड़का मिले” ( सर पर हाथ रख कर)

“ठीक है आंटी, मैं अब जा रही हूँ अगर कोई तकलीफ़ होगी तो बोल देना” ( और बाहर जाती है)।

नैना के घर से थोड़ी ही दूर पर एक छोटे से रूम में अमन रहता है, वो वही पर बैंक को तैयारी कर रहा है, वो जब भी उस रास्ते आता जाता तो नैना को देखता रहता और बड़े ध्यान से देखता रहता। नैना की भी नज़र कभी कभी उस पर पड़ जाती, लेकिन नैना को ये कभी नहीं महसूस हुआ कि अमन उसको मन ही मन पसंद करता है। अमन हर रोज 3, से 4 चक्कर लगा देता था।

एक राशन की दुकान पर....

नैना एक कॉपी ख़रीद रही थी, उसी समय अमन भी उसी दुकान पर आ कर एक कॉपी खरीदता है, उसके मन में ये आया कि एक बार किसी बहाने नैना से बात कर करूँ।

“लगता है आप को लिखने का शौक है” ( हल्की मुस्कुराहट में)

“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, कभी कभी कुछ याद आ जाता है तो लिख लेती हूँ” ( कॉपी दिखते)।

दोनो दुकान से बाहर निकल कर रोड के साइड से जाते जाते ही बात करने लगे।

“आप क्या करते हो?” 

“मैं तो बैक की तैयारी कर रहा हूं।"

“ठीक है मेरा तो घर आ गया, कभी मौका मिला तो फिर बात करते है।" (घर में जाती है)

आज अमन बहुत खुश था, क्यो की पहली बार नैना से बात किया था ।

कुछ दिन बाद....

रोज की तरह नैना अपने काम में लगी थी, तभी उसकी नज़र एक न्यूज पेपर पर पड़ी।

जिस पर “ ब्लड डोनेट” के बारे में दिया था। उसके दिमाग मे आया....

“क्यो ना मैं भी ब्लड डोनेट कर दूँ, ये भी तो एक समाज सेवा है” (न्यूज़ पेपर देखते)

फिर वो उस दिए पता पर जाती है, देखती है कुछ लोग खून दे रहे है।

“मुझे भी खून देना है, क्या मैं दे सकती हूँ”।

“हाँ, दे सकती है” (एक काउंटर पर लड़की से)

फिर उसको एक बिस्तर पर लिटा दिया जाता है। एक नर्स किसी से बात करते करते ये ध्यान नहीं दी कि बगल में चेक कर के खून और सुई रखी है। लेकिन वो सुई उसको फेकनी थी, क्यो की वो खून HIV ग्रसित खून था। लेकिन बात करते करते उसी सुई से उसके खून निकलता है। और कुछ देर बाद नैना वहाँ से चली जाती है।

कुछ दिन बाद....

नैना को फिर भी कुछ पता नहीं चला लेकिन कुछ दिन बाद से उसको तेज़ बुखार और उल्टी आने लगी थी। पूरा दिन अब घर पर रहने लगी अकेले रहने की वजह से उसको काम करने में परेशानी होती थी।

ऐसे ही कुछ दिन चलता गया,अमन रोज आते जाते नैना को नहीं देखा तो उसको लगा लगता है कही गयी है। उसके घर के पास एक आदमी से....

“क्यो भाई, ये नैना नहीं दिखाई दे रही है कही गयी है क्या?”

“नहीं भाई वो बीमार है कुछ दिन से और अकेले ही रहती है”

अब अमन को रहा नहीं गया तो घर मे आता है। और देखता है कि नैना ठंड से कांप रही है।

अमन तुरंत एक बड़ा रजाई उसके ऊपर रख देता है, पास में एक कटोरी में पानी और अपने जेब से रुमाल निकाल कर उसके सिर पर सेकाई करता है।

“आप और यहाँ, आप को तकलीफ़ करते है, मैं ठीक हूँ। ( कहटरते हुए)।

“जो लड़की दूसरों की मदद के लिए जान दे दे उसको आज मदद की जरूरत है तो कैसे ना मदद करूँ।"

ऐसे कुछ दिन करता रहा ,फिर एक दिन अमन ने अपने दिल की बात बोल दिया पहले तो नैना कुछ समझ नहीं पा रही थी क्या बोलू लेकिन फिर उसके साथ बिताए पल को याद करते हाँ बोल देती है। 

अब ये दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते है, अब अमन भी वही पूरा टाइम उसके साथ बिता देता है। बुखार कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था तो एक दिन उसका चेकप के लिए एक लैब ले जाता है।

नैना के खून का चेकप हो जाता है,और वो बाहर ही बैठी रहती है। कुछ देर बाद उसका रिपोर्ट्स आता है। रिपोर्ट्स को देख कर अमन के पैरों की ज़मीन खिसक गई । 

“क्या हुआ ऐसे क्यो चौक करे हो” ( उसके शक्ल को देख कर)

“कु.... कुछ नहीं, सब ठीक है,” ( नम आंखों से )

फिर उसको घर लेकर आता है, इधर समाज उन दोनो को देख कर तरह तरह की बातें करने लगें की” बिना शादी के ही दोनों रहते है कितनी खराब बात है”।

लेकिन अमन को कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई क्या बोल रहा है। लेकिन नैना को अच्छा नहीं लग रहा था कि कोई उसकी वजह से अमन को कुछ बोले...

“अमन तुम मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो, लोग तरह तरह की बाते कर रहे है और मुझे अच्छा नहीं लग रहा है कोई तुम को ऐसा कुछ बोले (आँखों मे आँसू )

“तुम क्यो इतना सोचती हो, जिसको जो सोचना और बोलना है बोलने दो” (उसके माथे पर किस करते)

एक साल बाद.....

नैना की तबियत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी, नैना को खुद समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।

कुछ समय ऐसे ही बैठी थी और अमन बाहर सेब लेने गया था, टीबी उसकी एक न्यूज़ पेपर पर पड़ी जो साल भर पहले की थी, उसको देख कर वो चौक गयी , जिस जगह पर वो खून डोनेट की थी वहीं पर 5 लोग गिरफ्तार हुए और लिखा था कि....

“डॉक्टर और नर्स की लापरवाही से 12 लोग HIV से ग्रसित हो गए है।"

वो रोती रही, लेकिन कुछ नहीं कर सकती थी उसने वो पेपर बिस्तर के नीचे छिपा दी क्यो की वो ये नहीं दिखाना चाहती थी कि मुझे सब पता है।

इधर अमन सेब लेकर खिलाता है और उसके साथ हँसी मज़ाक कर के उसका दिल बहलाता है, कभी कभी उसके आँखों मे भी आँसू आ जाते लेकिन किसी तरह वो अपने मन को समझाता है।

और एक दिन....

नैना अमन के पैरों पर अपने सिर को रख कर लेटी रहती है, 

“अमन तुम को और अच्छी लड़की मिल जाती लेकिन तुम ने मेरे लिए अपनी जिंदगी मुझे दे दी”

“तुम मेरा पहला और आखिरी प्यार हो, कुछ दीन में जब ठीक हो जाओगी तो हम शादी कर लेंगे”

“अभी के लिए “बिन फेरे हम तेरे” ही है। जरूरी नहीं की शादी के बाद ही साथ रहे सच्चे प्यार को हम ईमानदारी से निभाए वही प्यार होता है”

तभी अचानक नैना की सांस टूटने लगी और उसके शरीर को खूब तेज़ पकड़ती है। फिर एक ही पल उसकी पकड़ हल्की हो जाती है।

“नैना...नैना.... उठो तुम को कुछ नहीं होगा मैं हमेशा तुम्हारे पास रहूँगा”

अमन खूब रोने लगा और रोते रोते उसकी नज़र उस न्यूज़ पेपर पर पड़ती है। उसको समझ मे आ गया कि नैना को पता था कि उसको HIV हो गया था। 

वक़्त के साथ अमन में बहुत बदलाव आ गया था। वो अब बैंक की तैयारी छोड़ चुका था ।

नैना को अपने दिल और दिमाग मे पूरी तरह से बसा चुका था। उसको हमेशा जिंदा रखने के लिए बेसहारा लोगो की मदद के लिए 

“नैना फाउंडेशन ट्रस्ट” खोला था। जहाँ वो आज भी हर दुखी लोगों में नैना की देखता है।



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