बिकती निष्क्रियता
बिकती निष्क्रियता
उस कार्यालय में दो जगह दीमक फैली हुई थी, पहली फाइलों में और दूसरी लगभग हर मेज के नीचे। एक दिन पहली दीमक ने दूसरी को आवाज़ दी, और उससे पूछा, "क्या हाल हैं तुम्हारे ?"
दूसरी बोली, "बहुत अच्छे। यहाँ तो बहुत प्रगति हो रही है और तुम कैसी हो ?"
"मेरे हाल इतने अच्छे नहीं हैं, कभी तो किसी फाइल को पूरा चट करने का मौका मिल जाता है, तो कभी बहुत पुरानी फाइल से भी झटक दिया जाता है। लेकिन क्या तुम्हें हटाया नहीं जाता ?" पहली ने आश्चर्य से पूछा।
दूसरी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "तुम अकर्मण्यता की दीमक हो, जो फाइलों में रहती है, जब कोई नया आदमी आता है तो उसके दिमाग में तुम बैठी होती हो, इसलिए वह किसी फाइल को नहीं छेड़ता।"
"फिर भी कई बार..."
दूसरी ने पहली की बात काटते हुए कहा,
"परिपक्वता आते ही इन लोगों के दिमाग पर मैं सवार हो जाती हूँ, फिर सभी मुझे पसंद करने लगते हैं, और तुम्हें हटाने।"
"क्यों ?"
"क्योंकि मैं रिश्वत की दीमक जो हूँ।"