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Anju Kharbanda

Abstract

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Anju Kharbanda

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बीती रात कमल दल फूले

बीती रात कमल दल फूले

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अबोला


"बस आपको तो और कोई काम ही नहीं! जब देखो बातें सुनाते रहते हो!"

"तो तुम कौन सा चुप बैठती हो !"

"ठीक है तो अब चुप ही रहूंगी!"

"पता नही कब आयेगा वो दिन !"

"हुँह !"

"हुँह !"


छोटी छोटी नोंक-झोंक खिंच कर बड़ी बन जाती और

फिर कई दिनों तक अबोला रहता दोनों के बीच ।


जब से बच्चे नौकरी के सिलसिले में

दूसरे देशों मे जा बसे घर खाने को दौड़ता है ।

क्या दोनों पति पत्नी अब नहीं झगड़ते! ऐसा तो हो ही नहीं सकता!


"आज फिर सब्जी में नमक ज्यादा है!"

"तो खुद ही बना लिया करो!"

"अब खुद ही खायो बैठ कर !"

"खा लूंगी ! तुम्हें तो बातें सुनाने के अलावा कुछ काम ही नहीं!"

"हाँ हाँ तुम तो जैसे कुछ बोलती ही नहीं !"

"हुँह !"

"हुँह !"


पति जाकर रूम में लेट गया ।

अभी कुछ ही क्षण बीते होंगे कि पत्नी रूम मे गई ।

लेटे पति की ओर देखा, झुकी और उनके माथे को चूम लिया ।

"चलो उठो, खाना खा लो! मुझसे अकेले नहीं खाया जाता!"



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