कठपुतलियां
कठपुतलियां
अरे दिशा बिटिया ! कल लड़के वाले आ रहे हैं तुझे देखने !
अच्छे से तैयार हो जाना !
और हाँ वो गुलाबी शिफोन वाली साड़ी ही पहनना ! वो तुम पर खूब जचती हैं ! लड़का तो तुम्हें देखते ही फिदा हो जाएगा !
माँ अपनी ही रौ में बोले चली जा रही थी !
"एक बार भी नहीं पूछा कि मैं क्या चाहती हूँ !"
दिशा ने मन ही मन सोचा ! माँ... !
हिम्मत कर कुछ कहने ही जा रही थी कि माँ ने अगली हिदायत दे डाली-
सुन ! अपनी किसी सहेली को न बुला लेना।
अरे वर्मा जी की बेटी ऋचा को देखने आये थे, उसने साथ के लिये अपनी सहेली को बुला लिया पर देखो जरा लड़के वालों को ऋचा से ज्यादा उसकी सहेली पसंद आ गई !
दिशा मुँह बाये खड़ी थी !
दिशा, वो क्या कहते है बेटा ! वो जो मुँह पर क्रीम लगाकर गोरे चिट्टे दिखते है वो भी लगा लेना
पर माँ.... !
उसका दिल किया चीख चीख कर कहे-
मैं कोई शो पीस नहीं हूँ जिसे बढ़िया पैकिंग करके आप उसे ऊंचे दामों पर बेच दें !
आप शायद भूल गये ! लड़कियाँ इन्सान होती हैं कोई कठपुतलियां नहीं !