लड़के रोते नहीं
लड़के रोते नहीं
“अरे अरे गिर गया मेरा राजा बेटा!
कोई बात नहीं जल्दी से खड़े हो जाओ!
अरे! रोने लगे !
लड़के रोते थोड़े ही हैं!
बी अ ब्रेव बॉय!
बचपन से ही घुट्टी पिला दी गई कि लड़के रोते नहीं!”
“अरे उदास हो! क्या हुआ?
चेहरा क्यूं लटका रखा है?
बॉस ने झाड़ दिया!
अरे ऑफिस में ये सब चलता रहता है!
बी अ स्ट्रांग मैन!”
बडे होने पर भी वही घुट्टी बदस्तूर चस्पां रही!
“वाह! खुशखबरी!
आप पिता बन गये हो!
देखो बिलकुल आपके जैसी नाक!
अरे! आप की आँखे क्यूं भर आई!”
अब तो जिम्मेदारियां और बढ़ गई!
बी अ रिस्पोंसिबल फादर!
पिता बनने की खुशी भी आँखों से जाहिर नहीं होनी चाहिये!
आज बेटी की शादी है!
अब बेटी की डोली विदा करने का समय आ गया।
सब कुछ अच्छे से निबट गया!
सब रिश्तेदार बहुत तारीफ कर रहे थे!
अरे आप रोने क्यूं लगे !
“आज तो विदाई की बेला में रो लेने दो!
हल्का कर लेने दो जी!
हमेशा यही क्यूं सुने कि लड़के रोते नहीं!
क्या लड़के इन्सान नहीं होते!
क्या उनमें भावनाएँ नहीं होती!
फिर कहते हो कि लड़के अपनी फीलिंग्स जाहिर नहीं करते!
तुम मौका तो दो!”