छोटी सी बात!
छोटी सी बात!
-रेणू! आज बर्तन सफाई वाली नहीं आई!
रमा जी ने अपनी बहू रेणू से पूछा तो उसने जवाब दिया-
-नहीं माँ! अभी फ़ोन आया था कि उसे बुखार है!
-ओह ! मौसम की मार सब पर ही है!
-देखो अब कितने दिन की छुट्टी करती है!
रेणू ने पलंग के नीचे से झाडू निकालते हुए कहा।
-कोई नहीं! तू सफाई कर ले तब तक मैं बर्तन कर देती हूँ!
-अरे नहीं! मैं सब कर लूंगी!
रेणू ने रमा जी को मना करते हुए कहा ।
-इसमें क्या है! मिल जुल कर कर ही लेंगे। तब तक बच्चे भी स्कूल से आ जाएँगे!
-जी माँ!
रमा जी नहीं मानी तो रेणू को भी हामी भरनी पड़ी।
इस बात के दो दिन बाद ही बड़ी जिज्जी का आना हुआ। बातों ही बातों में उन्हें पता चला कि मेड नहीं आ रही और ये दोनों सास-बहू मिलकर घर का काम संभाले है तो उन्होंने तो हल्ला ही कर दिया।
रानी ने बहुतेरी समझाने की कोशिश की कि, मैंने तो माँ को बहुत मना किया बर्तन साफ करने को, पर वह मानी ही नहीं।
देखते ही देखते बात का बतंगड़ बन गया। जिज्जी तो शाम को वापिस चली गई पर पीछे छोड़ गई असहज बोझिल वातावरण!
बहू सोच रही है- माँ ने जिज्जी को सच क्यूँ नहीं बताया!
सास सोच रही है- ऐसे ही जिक्र छेड़ दिया मेड की बात का!
अब सास-बहू के बीच खामोशी पसरी है!
मानो न मानो कभी कभी कोई छोटी सी बात भी घर की नींव कमजोर कर देती है!