बहू को भी बराबर सम्मान चाहिये
बहू को भी बराबर सम्मान चाहिये
रीमा बहू, अब तो चाय बना के पिला दो। शाम के 5 बज गए हैं और अभी तक चाय का कोई नामोंनिशान नहीं है।
अभी ला रही हूं मम्मी जी...थोड़ी देर बाद रीमा चाय लेकर अपनी सास के कमरे में आ गयी। उसके आते ही सासूमाँ बोल पड़ी बहू के बात है... आज कल मैं देख रही हूं कि तेरा काम मे जी नही लगता, बहुत ढीली हो गयी, कोई बात है तो बता दे मने...
नही मम्मी जी ऐसी तो कोइ बात नही है। मैं तो सारे काम समय पर ही कर देती हूं। न बहू मैं देख रही हूं तड़के भी तूने नाश्ता बनाने में कितनी देर कर दी तब तक मैं नाह धोकर तैयार हुई तब तक रसोई में कोई हलचल नही थी।
मैंने तो लगे है कि तेरा मन अब काम मे जी नही लगता। तेरे मायके में सब ठीक तो है? मैने देखा है.. जब भी तेरे मायके में कोई परेशानी हो तो तू भी बदल जावे है फिर तेरे रंग ढंग ससुराल के नही होते।
ये आप क्या कह रहे हो मम्मीजी... मेरे घर के तो सब ठीक है लेकिन आप अपनी आदतों को कब बदलोगे?
क्या मतलब है तेरा रीमा बहू...क्या कर दिया मैंने
मम्मी जी 2 दिन पहले पड़ोस में क्या कह रहे थे कि मैं कोई काम नही करती, आपको सारे काम करने पड़ते हैं, बच्चों को आपके पास छोड़कर ये तो टेलीविजन में कसौटी नाटक देखती रहती है।
नहीं.. तो मैंने तो किसी को भी नही कहा ये सब रुको मैं अभी आयी कहकर रीमा पड़ोस के घर मे गयी और बूढ़ी दादी को बुलाकर लायी और आते ही दादी बोल पड़ी।
क्यो री रीमा की सास तू मेरी बहू से अपनी बहू की बुराई करन तो लाग रही सी मैं वहीं तो बैठी थी। तुमने सोचा ये बूढ़ी दादी हमारी बात न सुन रही तो बोले जाओ लेकिन एक बात सुन तुम जैसी औरतें जो दूसरे के घर जाकर अपनी बहुओं की बुराई करो हो तो जब तुम्हारी बहू को पता चल जाए कि म्हारी सास हमारी बुराई कर रही तो तुम्हारी इज़्जत क्यों करेंगी। माना कि बहू दूसरे घर से आई है वो तो सदा से ही पराई है लेकिन बहू को भी सम्मान चाहिये यदि तुम सब ऐसे ही उसकी और उसके परिवार वालों की बुराई करते रहोगे तो ये भूल जाओ की की बहू तुम्हारे लिए गर्म गर्म खाना परोसेगी या तुम्हारी इज़्ज़त करेगी।
ताली हमेशा दोनो हाथों से बजती है तो देख लो तुम अपने लिए कैसा व्यवहार चाहती हो यह तुम पर निर्भर करता है बूढ़ी दादी बोले जा रही थी तो रीमा की सास गर्दन झुकाकर सुन रही थी उन्हें भी अपनी गलती का अहसास हो गया था।
दोस्तो, आपको हर घर मे होने वाली ये छोटी सी बात कैसी लगी यही छोटी छोटी बातें आगे चलकर एक बड़ा पहाड़ बन जाती है।