Vineeta Dhiman

Inspirational

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Vineeta Dhiman

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घर का हिस्सा

घर का हिस्सा

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रिया बहू आजा रामायण देख ले, आज सीता स्वयंवर को दिखाया जाएगा। रिया को भी रामायण देखना अच्छा लगता है इसलिए वो भी माँजी के साथ बैठकर देखने लगी। प्रसंग को देखने के बाद माँजी बोली "रिया बहू राजा जनक ने अपनी नाजो में पली बेटी को कितने साजो सामान के साथ, पति राम के साथ विदा कर दिया। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनकी बेटी को आगे इतने दुख सहने पडेंगे। वन में जाना होगा, रावण के अत्याचार को सहन करना होगा। सीता की भी क्या किस्मत थी।"


"सही कहा माँजी आपने आज भी हर पिता राजा जनक की तरह ही अपनी बेटी को जन्म से ही प्यार से पालता है, उसकी हर मुराद को पूरा करता है। उसे पढ़ालिखा कर काबिल बना देता है कि वो नौकरी कर अपने परिवार को पालन पोषण कर सके। उसकी शादी में अपनी हैसियत से ज्यादा देता है, साजो सामान के साथ हर चीज़ देता है जो उसकी बेटी के काम आती है। लेकिन फिर भी कितने ही ससुराल वाले एक पिता के द्वारा दिये गए कन्यादान को भी नही समझते। वो तो बस अपनी बहुओं को देहज़ के लिए तंग करते है उसे मारते पीटते हैं।"


"सच कहा एक पिता कभी नहीं जान पाता कि जिस घर मे वो अपनी बेटी को दे रहा है आगे चलकर उसकी बेटी के साथ क्या होगा, कैसा बर्ताव किया जाएगा। पराये घर से आई लड़की, किसी की बेटी अब आपके घर का हिस्सा है जो हमेशा आपसे सिर्फ प्यार चाहती है।"


"सही कहा रिया बहू तूने तभी तो तू हमारी बहू नहीं बेटी है। मैनें कभी भी तुझमे और अपनी बेटी में कोई फर्क नही किया" इतना कहकर माँजी ने अपनी रिया बेटी को लगे लगा लिया।


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