अभी तो खेलने कूदने के दिन है
अभी तो खेलने कूदने के दिन है


सुहानी एक समझदार, सुलझी हुई, प्राइवेट बैंक में नौकरी करने वाली लड़की है। वहीं अपने ही ऑफिस में काम करने वाले रोहित से प्यार हुआ। घरवालों की रजामंदी से दोनो ने शादी कर ली। सुहानी की सास ने उसे माँ की तरह प्यार दिया, अपने ससुराल में सुहानी बहुत खुश थी। किसी चीज़ की कोई कमी नही थी। रोहित भी अब जॉब और घर मे सुहानी के साथ बहुत खुश था। समय मानो पंख लगाकर उड़ने लगा....
सुहानी आज हमारी शादी के 3 साल बीत गए, तुम्हारे साथ के कारण पता भी नही चले रोहित ने कहा... आज शाम को पार्टी है तुम तैयार रहना। घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं। शाम के समय सुहानी तैयार हो जाती है, और देखती है मोहल्ले की कुछ बूढ़ी औरतें भी आई है। उन सबको नमस्कार करने के बाद सुहानी अपनी सास के पास जाकर बैठ जाती है। तभी सभी औरतें बात करना शुरू करती हैं।
सुहानी बहू शादी की सालगिरह मुबारक हो, अब तो तुम बच्चे के बारे में सोचो। शादी को 3 साल हो गए हैं और अभी तक तुम्हारी गोद नहीं भरी। तभी सुहानी की सास बोली "तुम सब भी आते ही मेरी बहू के पीछे पड़ गयी हो बच्चा हो जाएगा बच्चा अभी तो इनके खेलने कूदने के दिन है" जब दोनों सोच लेंगे कि अब वो अब बच्चों की जिम्मेदारी उठाने लायक हो गए है तब कर लेंगे बच्चअरे सुहानी की सास तुम तो बुरा मान गयी।
हमारे कहने का मतलब था कि बहु एक बच्चा पैदा कर लो बाद में अपने जॉब को करते रहो तभी रोहित भी आ गया उसने भी सारी बातों को सुन लिया और बोला अरे आप सब तो बेकार में ही परेशान हो रहे हो आप तो एक बच्चे की बात कर रहो मेरा मन तो पूरी क्रिकेट टीम बनाने का है... कह कर मुस्कुराने लगा। रोहित की बात सुनकर सुहानी अपनी सास के पीछे छुप गयी और वहाँ मौजूद सभी औरतें भी हँसने लगी। फिर सबने मिलकर पार्टी को पूरा एन्जॉय किया सुहानी और रोहित को खूब आशिर्वाद भी मिला।
दोस्तों, "सही बात है आप किसी के मन मे क्या है ये नहीं जान सकते" हम सिर्फ बाहर या ऊपर से देखकर ही अपनी कल्पना कर लेते है बल्कि हक़ीक़त कुछ और ही होती है।