Ruchi Singh

Abstract Inspirational

4.4  

Ruchi Singh

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बहू बनी बेटी

बहू बनी बेटी

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प्रतिमा अमन की शादी को अभी दो ही साल हुए थे प्रतिमा मां बन गई। कम उम्र में बच्चे को संभालना उसने बड़े आराम से कर लिया। पर अगले 2 साल में प्रतिमा को एक और बेटा हुआ, घर में खर्चे बहुत ही बढ़ गए थे। अमन की प्राइवेट छोटी सी नौकरी, जिससे सब का लालन-पालन सब ठीक-ठाक चल रहा था। पर आगे बच्चों के भविष्य को लेकर अमन प्रतिमा थोड़ी चिंता में रहते थे। वह अपने बच्चों के अच्छी परवरिश देना चाहते थे।

तभी कुछ दिनों बाद अमनको दुबई की कंपनी से अच्छा आँफर आया। वहां पर अमन का सिलेक्शन हो गया। सैलरी पैकेज भी बहुत अच्छा था। पर सबको दुबई ले जाने का खर्चा बहुत होता और अमन परिवार को छोड़कर जाना नहीं चाहता था। इसलिए वह इस जॉब को ज्वाइन नहीं करना चाहता था। प्रतिमा को पैसों की बहुत चाह थी, इसलिए उसने जबरन बहुत जोर दिया। कि मैं यहां पे बच्चों को अच्छी तरह से पाल लूंगी। और आप जाओ समय-समय पर बच्चों और मेरा खर्चा आप भेजते रहना ।अमन मन मार कर चला गया।

धीरे-धीरे उसका मन दुबई में लग गया। बच्चों की परवरिश भी बहुत अच्छे से होने लगी। दोनों बच्चे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने लगे। अमन शुरू मे तो 2 साल बाद आया। और फिर आना बंद कर दिया। प्रतिमा को लगा कि उसने गलत तो नहीं किया,अमन को दुबई भेज कर।

अब अमन पैसे तो भेज देता।पर आने में आनाकानी करने लगा। धीमे - धीमे वह बीवी बच्चों से मतलब रखना बंद कर दिया। अब उसकी एक गर्लफ्रेंड भी बन गई थी वहां की नागरिकता लेने के लिए उसने उस लड़की से शादी भी कर ली। अब तो वह घर आना जैसे मानो भूल ही गया। प्रतिमा ने अपने बल पर बच्चों को पाला, बड़ा किया। और फिर बड़े बेटे की शादी कर दी।

बड़ी बहू तो आते ही। बेटे को लेकर अलग हो गई।

प्रतिमा बहुत टूट चुकी थी।

पहले पति और बेटा। धीरे-धीरे सब दूर होते जा रहे थे। उसको कुछ भी अच्छा नहीं लगता था।उसका कोई ध्यान रखने वाला नहीं था। उसका कहीं मन नहीं लग रहा था ।धीरे-धीरे वह बीमारियों का शिकार होने लगी । समय के साथ उसका शरीर जर्जर होने लगा। उसको अब बी.पी. और डायबिटीज की बीमारी भी हो गई थी। ऐसे ही चलता रहा ।

कुछ महीने बाद छोटे बेटे ने बताया, कि मुझे एक लड़की पसंद है मैं उससे शादी करना चाहता हूं।  प्रतिमा ने सोचा कि यह काम भी करके मैं अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाओ और अकेले जैसे -तैसे अपनी जिंदगी जी लूंगी ।शादी भी बड़ी धूमधाम से बिना अमन की आए बीत गई।

प्रतिमा को लग रहा था कि यह भी बहू मेरे बेटे सोम को लेकर चली जाएगी और पर ऐसा नहीं हुआ ।निया बहुत ही समझदार निकली। वह प्रतिमा का बहुत ही ध्यान रखती थी।

उसको समय पर दवा देना, उसके साथ बैठना, बातें करना ,अपने साथ बाहर ले जाना आदि सब बातों का वह पूरा ध्यान रखती थी। उसको एहसास था कि सोम के पिता ने मां के साथ बहुत ही गलत किया। इसलिए मां टूट सी गई है। और बीमार रहने लगी है।

निया के ध्यान रखने से प्रतिमा अब स्वस्थ होकर खुश रहने लगी ,मानो जैसे उसको बहू के रूप में एक बेटी मिल गई हो दोनों बहुत ही घुलमिल कर रहती थी धीरे-धीरे प्रतिमा जैसे अपने सारे गम को भुला दी ।1 साल बाद निया माँ बन गई।

अब बच्चे के आने पर प्रतिमा का समय कहां चला जाता था पता ही नहीं चलता था। वह बहुत ही खुश रहने लगी उसको लगा कि मेरी जीवन में निया जैसी बेटी ना आती तो मेरा क्या होता। निया ने भी प्रतिमा का अपनी मां से बढ़कर ध्यान रखा।


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