भाग-2 नया घर और .......
भाग-2 नया घर और .......
रजनी और रमेश दोनो ही ज़ोर ज़ोर से चिल्लाना चाह रहे थे पर डर इतना था कि आवाज़ ही नहीं निकल रहा था। एक दूसरे को पूरी ताक़त से जकड़े दोनों पलंग के सिरहाने की तरफ़ खिसकते जा रहे थे। तभी वह गुड़िया इनकी ओर बढ़ने लगी, अपने हाथ फैलाए और यह कहते हुए कि रजनी ये लो मैं आ गई। अब इस घर में तुम और मैं साथ-साथ रहेंगे।
दोनों पति पत्नी डर से सफ़ेद पड़े जा रहे थे। कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की क्या करें। तभी रजनी के हाथ, बिस्तर के साथ लगे मेज़ पर रखे पानी के जग पर गया और उसने पूरी ताक़त से उसे गुड़िया की तरफ़ फेंका। गुड़िया पर कोई फर्क नहीं पड़ा और वह धीरे धीरे आगे बढ़ती रही। फिर रजनी के हाथ आया एक मिट्टी का बना कलश जो पूजा के दौरान पंडितजी ने मंत्र पढ़, हर कमरे में रखा था। रजनी ने इसे भी उस गुड़िया की तरफ़ फेंका। कलश में रखे पानी की छींटे पड़ते ही गुड़िया तेज़ी से पीछे हटी और ज़ोर से कहने लगी रजनी तूने ये क्या किया। यह कहते हुए वह कमरे की दीवार में समा गई।
रजनी और रमेश के साँस में साँस आई पर डर अभी व्याप्त था। दोनों भयभीत नज़रों से चारों तरफ़ देख रहे थे कि कहीं किसी कोने से कोई अनहोनी ना होने वाली हो। इसी डर के साथ आँखों आँखों में रात निकल गई और गौरैया की चहक और प्रातःकाल की प्रथम स्वर्णिम किरणों ने दोनों तो राहत पहुँचाई।
सूर्योदय के साथ ही रजनी ने पंडितजी को फोन लगाया। रात वाली पूरी घटना बताई। वैसे तो पंडितजी ने रजनी को परेशान ना होने को कहा किंतु पंडितजी के वार्तालाप में जो भय और शंका के अंश थे रजनी उसे भाँप गई थी। पंडितजी ने आधे घंटे में आने को कहा था। इस आधे घंटे का एक-एक पल बहुत कठिन हो रहा था। कितनी ही बार रजनी दरवाज़े तक अरे फिर बाहर गेट तक जा कर आई है। बेचैनी इतनी बढ़ गई थी की रजनी इस बार गेट से बाहर सड़क तक निकल आई थी पंडितजी की बाट में।
गेट के बाहर, चार कदम की दूरी पर एक जंगली बेल फैला था। रजनी ने देखा वहाँ कुछ चमक रहा था। जिज्ञासावश उसके कदम उस ओर बढ़ गए। पास पहुँचने पर देखा तो यह वही ख़ास यंत्र था जो कल पूजा के समय नहीं मिल रहा था। रजनी आश्चर्यचकित रह गई की यह यहाँ कैसे आया। कल से आज अभी तक तो कुछ भी बाहर नहीं फेंका गया है फिर ये यहाँ क्यों और कैसे आया। आगे बढ़ के उसने उस यंत्र को उठाया। हाथ में लेने पर रजनी ने पाया की उस यंत्र को किसी ने खरोंचा है और उसपर बनी आकृति को ख़राब करने की कोशिश की गई है। एक के बाद एक घटित होती घटनाएँ रजनी के भय और बौखलाहट को बढ़ा रही थी।
अंदर आ रजनी ने वह यंत्र रमेश को दिखाया और इसके मिलने की कहानी बताई। सारी बातें इन दोनों के समझ से परे थी लेकिन इनके भय को बढ़ाने के लिए बहुत थी। दोनों बेसब्री से पंडितजी का इंतज़ार कर रहे थे कि कब वह आएँ और इनकी परेशानियों का समाधान निकलें।
क्रमशः

