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Reetu Singh Rawat

Abstract

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Reetu Singh Rawat

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बेटियां

बेटियां

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बारिश में छाते की तरह होती है बेटियां

माँ-बाप अगर दुखी हैं तो रोती है बेटियां।


टूटे हुए खिलौनों से खेला करती है

मगर शिकायत नहीं करती है बेटियां।


पूरे परिवार का ध्यान रखती है बेटियां

फिर भी न जाने क्यों कहते हैं।


दुनिया वाले बोझ होती है बेटियां

जब कि हर हाल में मुस्कराती है बेटियां।


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