बेटा बेटी का फेर
बेटा बेटी का फेर
रामू अपने घर बेटा होने पर बहुत खुश था I पहले दो संतान लड़की के रूप में प्राप्त हुआ पर उनके जन्म पर घर में कोई रौनक नहीं था I रामू के माता पिता को एक लड़का चाहिए था जो उनके वंश को आगे बढ़ा सके, उनके छुपी खुशी आज खुलकर चेहरे पर दिख रहा था I
नाती के नामकरण, षष्ठी संस्कार बड़े धूमधाम से मनाया गया I लोग बधाई दे रहे थे कोई कहता लड़का अपने माँ पर गया है कोई कहता अपने बाप पर गया है तो कोई कहता अपने दादा पर गया है, नाक आंख कान सब को जोड़ा गया किसी न किसी से और इन सबसे मिल कर एक रूप निखरा जो एक बालक के रूप में आगे बढ़ने लगा समय के साथ दादा दादी समय के गाल में समा गए I
रामू लड़कियों का शादी कर अंतिम मे लड़के को पढ़ा लिखा कर शादी कर दिया I एक सुन्दर बहू को पाकर रामू खुश था समय गुज़रता गया I रामू और उसकी पत्नी अब जीवन के अंतिम पड़ाव बुढ़ापे में प्रवेश कर गए I
उनकी बहू के बच्चे हुए I जिन्हें पढ़ाने के लिए वे पति पत्नी शहर में शिफ्ट हो गए I उनका लड़का वहीँ शहर में एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करने लगा. I
रामू और उसकी पत्नी घर में दो प्राणी ही बच गए I रामू खेत का काम संभालता तब उसकी पत्नी घर में अकेले होती I दिन महिने साल गुजरते गये I अब दोनों का शरीर थक चुका था I खेत को उसके बेटे ने बच्चों के पढ़ाई ख़र्च के लिए गिरवी रख दिया जिस कारण बाप बेटे मे झगड़ा हो गया और उसका बेटा ने गांव आना बंद कर दिया I
रामू के दोनों बेटियाँ महिने चार महिने में हाल पूछने आ जाया करते, उन्होंने अपने भाई को समझाने की कोशिश भी किया पर वह माँ बाप को साथ ले जाने को तैयार न हुआ I इसी बीच वह गांव आया एवं खेत को बेचने की बात गाँव मे फैलाई ताकि लेने वाले उससे सम्पर्क कर सकें I रामू बेटे के पास गया और समझाया कि खेत वह ना बेचे क्योंकि खेत ही किसान की पूँजी होती है I जो वक्त पर काम आती है I पर उसके बेटा राजी न हुआ उसे डर था कि रामू के देहांत के बाद उसके दोनों बहनों का नाम भी खेत के पट्टे पर चढ़ जाएगा और वे हिस्सेदार बन जाएंगे , और बंटवारा मांगेंगे I
रामू कुछ न कहा वापस आकर वह उस खुशी को याद किया जब उस लड़के के पैदा होने पर और लड़कियों के पैदा होने पर अनुभव किया था I क्या लड़के का हक सिर्फ जमीन हथियाने तक ही होता है I क्या बुढ़े माँ बाप का सहारा बनने का फर्ज उनका नहीं I रामू का सोच चिंता मे बदल गया और वह बीमार पड़ गया. I बेटे को माँ ने खबर भेजी पर वह न आया I फिर मां ने दोनों बेटियों को खबर भेज कर आने के लिए कहा. I
दोनों बेटियों ने आकर माँ बाप को समझाकर उन दोनों के घर मे एक एक महिने दोनों के जिन्दा रहने तक रखने का वादा किया. I माँ बाप के पास कोई चारा नहीं था ना जमीन ना बेटा वह गांव के मिट्टी को प्रणाम कर सदा के लिए अपने जन्म भूमि को विदा कह आगे बढ़ गया उस फ़ेर से भी जिसमें पड़ इंसान बेटा पाने की चाह किया करते हैं I