अधूरी तमन्ना भाग-3
अधूरी तमन्ना भाग-3
ये क्या कह रही हो तृप्ति एक डायरी के कारण तुम्हारी शादी हो गई ? राकेश ने कहा I
"हाँ राकेश तुम पढ़ोगे वो डायरी" तृप्ति ने ज़वाब दिया I और वह अपनी बैग से एक डायरी निकाल कर राकेश की ओर देते हुए बोली I
" मैं भला क्यों आपका पर्सनल डायरी पढ़ूंगा I ये तो गलत है ना तृप्ति I"
" नहीं ये गलत नहीं है जब मैं तुम्हें खुद पढ़ने के लिए दे रही हूँ I "
"अभी रहने दो तृप्ति फिर कब लौटाऊंगा। दो साल बाद तो मुश्किल से मिले हैं I फिर जाने कब मिलना हो I "
"अब लौटाने की आवश्यकता नहीं है, इसे पढ़ कर कहीं विसर्जित कर देना", तृप्ति ने खिड़की से बाहर अंधेरे में देखते हुए कही, मानो अँधेरे में भी उसे सब-कुछ दिखाई दे रहा हो I
"नहीं तृप्ति में इसे नहीं ले सकता", राकेश ने मना करने की अंदाज में कहा
"तुम जीवन भर अंधेरे में रहोगे राकेश I इसमें मेरे साथ तुम्हारी सच्चाई भी है I कम-से-कम एक बार तो पढ़ लेना" तृप्ति ने हिम्मत जुटा कर बोली I
"मेरी सच्चाई वो भी तुम्हारे डायरी में", राकेश ने आश्चर्यचकित होकर तृप्ति को देखने लगा I
"हाँ राकेश तुम्हारे सभी सवालों का जवाब इसमें है साथ ही शायद तुम्हारे अरमान भी इस डायरी में हैं जो तुम ने मुझसे छुपाया और मैंने तुमसे छुपाई I "
"मैंने तुमसे क्या छुपाया तृप्ति", राकेश के आश्चर्य का ठिकाना न रहा I उसे समझ नहीं आ रहा था कि तृप्ति जो कभी इस तरह से न बोली थी I आज खुल कर बोल रही थी I
अब राकेश न चाहते हुए भी उस डायरी को ले लिया I उसने वहीं डायरी को खोल कर पढ़ने का प्रयास किया पर तृप्ति ने मना करते हुए कहा
"राकेश घर में आराम से पढ़ना आज मेरे साथ बात करो कहीं फिर मिलें न मिलें I किस्मत तुमसे आज अचानक मिला दिया है इसे मुझे मत खोने दो I"
राकेश अवाक तृप्ति को देखता रहा उसके मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे I उसका पुराना प्यार जाग रहा था पर आज फिर दोनों अपनी भावनाओं को छुपा रहे थे I शायद रस्म, परम्पराओं ऊँच नीच के डर से राकेश चुप था I और राकेश के चुप्पी से तृप्ति चुप थी I
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क्रमशः आगे के अंक में