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GOPAL RAM DANSENA

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GOPAL RAM DANSENA

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अधूरी तमन्ना, भाग -2

अधूरी तमन्ना, भाग -2

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अब तक आपने पढ़ा की राकेश और तृप्ति कालेज में एक साथ पढ़ते थे I उनका मिलना अचानक एक रात ट्रेन में होती है वे एक दूसरे का हालचाल पूछते हैं और अपना अपना नजरिया जीवन के प्रति व्यक्त कर रहे हैं I

अब आगे......

राकेश तृप्ति के सवाल का जवाब देता है "मैं मानता हूँ तृप्ति रुपया ही जीवन में सब-कुछ नहीं है पर जीवन में रुपये के कारण हम जो चाहते हैं उन्हें भी दिल में दफन कर देना पड़ता है I मेरे जैसों के लिए तो दिल के अंदर मरे हुए अरमानों का एक कब्रिस्तान छुपा रहता हैI जिसे हम चाह कर भी किसी को दिखा नहीं सकते I"

चलो इन बातों को यहीं छोड़ते हैं I अब बताओ तुम इतनी रात को मैके क्यों जा रही हो और इतनी इमोशनल बातें क्यों कर रही होI और तुम्हारे सपनों का राजकुमार कहां हैं मुझे नहीं मिलाओगी उनसे ? राकेश खोजी निगाह को चारों ओर दौड़ता है पर पूरी बोगी में सन्नाटा को पैर पसारे देख तृप्ति को देखती हैI वह खामोश बैठी राकेश को निहार रही थी मानो राकेश को उत्तर दे रहीं हों की उसका सपनों का राज कुमार तो यही कहीं नज़रों में गुम हो गया हैI

तृप्ति कहां खो गयी हो अरे साहब को याद दिलवा दिया न चलो अब बताओ इतनी जल्दी शादी कैसे कर ली I हमें याद भी ना किया I राकेश के बातों में अपनेपन का दर्द उभरने लगा I फिर राकेश का अपनापन तो खुद वहीं जानता है, कोई और नहीं I

-- मैं भूली नहीं थी राकेश मेरी शादी इतनी जल्दी में हुआ की मैं खुद ही नहीं समझ पायी की ये क्या हो रहा हैI जब मैं सुना की मेरी शादी अमरेश के साथ तय हो चुकी है वो भी मेरे मर्जी के खिलाफ। मैंने अपने पापा से पूछा की वे ये कैसे कर सकते हैं I

जानते हो राकेश पापा का ने क्या कहा? उन्होंने मेरी डायरी को मेरे सामने कर दिये और बोले--

" ये क्या है तृप्ति I

- ये तो मेरा डायरी है पापा I

- ये मुझे भी मालूम है, और मैं यह भी जनता हूं कि इसमें तुम हर दिन अपने दिन भर की घटनाओं यादों और सोच को लिखती हो I पापा ने रूखे स्वर में कहा

-- हाँ तो इससे मेरी शादी .... मैं कह ही रही थी कि पापा ने डायरी खोल मेरे सामने रख दिया I

-मैं कुछ ना बोल पायी क्योंकि जो सच था उसे मैं कितना झुठला सकती थी I तृप्ति ने राकेश की ओर आँसू भरे नज़रों से देखते हुए बोली I

-- क्या सच तृप्ति, क्या था उस डायरी में? राकेश ने पूछा

-- वहीं जीवन की सच्चाई जो मैंने दिल से खुद लिखी थी, अपनी अरमान, सोच और सपनों को जिसे मैंने पन्नों पर उकेर दिया था I तृप्ति ने कहा

क्रमशः अगले अंक भाग -3 में 


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