एक अंतिम फैसला
एक अंतिम फैसला
नेहा अपने समान को बैग में भर कर एक नज़र अपने उस घर को देखती है जिस घर के लिए शादी से पहले मन में अनेक सपने सजा कर सारे रस्मों रिवाज के साथ प्रवेश किया था I एक ही पल में वे सारे दृश्य आँखों से गुजर गए उसके पांव कांपने लगे, शरीर ठंडा पड़ने लगा, गला सूखने लगा एक लड़की के लिए ये निर्णय लेना कितना कठिन काम होता है इसका अनुभव हमारे वश की बात नहीं I आज नेहा हमेशा के लिये ये घर छोड़ कर जा रही थी I उसने एक गहरी साँस लेकर अपना बैग उठा सिर नीचे किए घर से निकल गयी I
बाहर रोड से आटो लेकर बस स्टैंड गयी वहां से बस पकड़ अपने मायके के लिए टिकट लिया I घर पहुँचते ही दरवाजे पर अपने बूढ़े माँ बाप को देख फुट फुट कर रोने लगी, माँ बाप को कोई अचरज नहीं हुआ क्योंकि वह उन्हें पहले कई बार फोन पर ससुराल वालों के व्यवहार और उनके द्वारा दहेज मांगने के बारे में बता चुकी थी I
सब घर के अंदर गए फिर नेहा के बाप का सब्र टूट गया, वह नेहा को समझाने लगे- बेटी तुम्हें यहां इस तरह नहीं आना था, यों रिश्ता को तुम कैसे तोड़ सकती हो, तुम दो चार दिन रह कर वापस चली जाना I
नेहा पहले तो अपने पिता के चेहरे को देखा फिर जवाब दिया "-पिता जी मैं वापस नहीं जाऊँगी, मैंने फैसला किया है कि अब मैं उस दलदल में कदम नहीं रखूंगी I
जहाँ दहेज के लिए मार पीट किया जाता है I
आप कहाँ से पैसे देंगे अपना सारा पूंजी तो शादी में खर्च कर दिए, उधार रुपये नहीं पटा पाने के कारण आज भी कहीं मुंह नहीं दिखा पाते हैं I
माँ से अब ना रहा गया उसने अपने आंसू पोंछते हुए बोल पड़ी ---बेटी आखिर तेरे साथ कौन शादी करेगाI लड़कियों के लिए दूसरी विवाह के लिए लड़का मिलेगा कहां I फिर दहेज कहाँ से आएगा तेरे विवाह में तो घर भी बिक गया, केवल किचन को बचाए हैं जिसमें गुजारा कर रहे हैं I
नेहा बोली---" माँ अब मैं शादी नहीं करूँगी I और कहीं काम करके अपना दिन बिता लूंगीI रोज के मार खाने से अच्छा है की अकेले जीवन बिताना I
नेहा चुप हो गयी माँ बाप भी चुप हो गए, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें I यदि जिद कर वापस भेज दें तो कोई अनहोनी ना हो जाए I दूसरी तरफ समाज की ताने और जवान बेटी को घर में बिठाने का डर I
वे अपने फैसले पर आज भी पछता रहे थे कि एक सरकारी नौकरी पेशा वाला दामाद की चाह में अपने घर का सुख सम्पत्ति भी दांव पर लगा दिया पर परिणाम सामने था I उनके सामने दहेज नाम की सुरसा मुंह फाड़े खड़ी थी I जिसमें उनके घर का पूरा सम्पत्ति और लाड़ली का जीवन भी समा गया I वे सूने आकाश की और देखते हुए पास पड़ी कुर्सी पर बैठ जाते हैं I