मन में एक नयी तरंग उमंग ले मैं चल पड़ी दुछत्ती की ओर मन में एक नयी तरंग उमंग ले मैं चल पड़ी दुछत्ती की ओर
और फिर किताबें जो जिंदगी के सच से वाकिफ भी होती है और फिर किताबें जो जिंदगी के सच से वाकिफ भी होती है
भले ही लिखने की चाल कछुआ चाल ही हो, लेकिन लिखने का जो क्रम जारी है भले ही लिखने की चाल कछुआ चाल ही हो, लेकिन लिखने का जो क्रम जारी है
समय भी गांव में घूमते मौज मस्ती में कब गुजर गया पता ही नहीं चला, समय भी गांव में घूमते मौज मस्ती में कब गुजर गया पता ही नहीं चला,
मेरे जैसों के लिए तो दिल के अंदर मरे हुए अरमानों का एक कब्रिस्तान छुपा रहता है मेरे जैसों के लिए तो दिल के अंदर मरे हुए अरमानों का एक कब्रिस्तान छुपा रहता है
ऋतू को जब पता लगा तो उसे झटका लगा वह अंदर से टूट गयी। ऋतू को जब पता लगा तो उसे झटका लगा वह अंदर से टूट गयी।