सुर्ख गुलाब वाला गुलाबी दिन
सुर्ख गुलाब वाला गुलाबी दिन
डायरी में अचानक सूखे गुलाब का मिलना
आज सुर्ख गुलाब वाला गुलाबी दिन है और तुम पास नहीं इस कारण मन बहुत बोझिल हो रहा था। रह रह कर तुम्हारी याद भी आ रही थी। वैसे तो तुम कभी यादों से गये ही नहीं। तभी सोचा क्यों न अपनें छिपे खजाने से पुरानी यादों के साथ कुछ लम्हे जी कर खुद को तरोताज़ा कर जीवन में खोई हुई खुशियों से सराबोर हो जाऊँ।
मन में एक नयी तरंग उमंग ले मैं चल पड़ी दुछत्ती की ओर। वहां एक पुरानी दफ्ती की पेटी में जहाँ किसी का ध्यान जा ही नहीं सकता हमने अपनी सुनहरी यादों को संजो कर रखा हुआ है। पुराने खत ,डायरी ,पुस्तकें व कुछ वो सामान जो कभी बहुत प्रेम से बनाया था आज अपनी आभा खो हमारी जिन्दगी की तरह बदरंग हो चला है सब एक पेटी में बन्द हैं जिसे अलमारी का रूप दे ऊपर से पुराने किन्तु सुन्दर कपड़े से ढाक रखा है।
जल्दी से दग्ध हृदय से पेटी खोल वह खास डायरी जिसके पन्नों में आज भी ताजे गुलाब की खुशबू विद्यमान है जो मन को खुश कर देती है मैं उन एहसासों में डूब गयी जो कभी व्यक्त करने में भी डर लगता था। इसलिये ये अनमोल एहसास हमेशा साथ रहें बस इसी भावना से उस दिन उस सुर्ख़ लाल गुलाब को डायरी में छिपा कर रख दिया था। जब तुमने बड़े प्यार से शादी के बाद हमें इसे सबकी नजरों से छिपा कर थमाया था। और हमने भी सबसे छिपा कर प्यार से इस खूबसूरत डायरी में ले जा कर छिपा दिया था।
कभी-कभी सोचती हूँ। ये प्रेम न होता तो जीवन कितना नीरस हो गया होता। आज कम से कम वो नहीं उनकी यादें तो साथ हैं सूखे गुलाब के रूप में।