Shelly Gupta

Classics

2.5  

Shelly Gupta

Classics

बेस्ट कलाकार

बेस्ट कलाकार

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लड़खड़ाते हुए मोहन घर में घुसा। गिरने ही वाला था कि उसकी पत्नी रीमा ने उसे थाम लिया और उसके मुंह से निकल गया,"जरा संभल कर जी।"


बस इतना ही काफी था मोहन के गुस्से को भड़काने के लिए। 


"तू मुझे सिखाएगी गंवार औरत", और मोहन ने रीमा को ज़ोर से धक्का दे दिया।


दूर जा कर गिरी रीमा और मेज़ का किनारा कंधे में ज़ोर से घुस गया। सारा कुछ देख रहे उनके नौकर हरिया ने रीमा को उठाया और उसे अंदर भेज दिया कि मोहन को अब वो संभाल लेगा। रीमा चुपचाप अंदर चली गई बग़ैर कुछ बोले। आदत जो पड़ गई थी उसे इस सब की।


अगले दिन सुबह मोहन ने नाश्ता करते हुए ज़ोर से आवाज़ लगाकर रीमा को बुलाया और बोला कि मुझे अपने नाटक के लिए बेस्ट कलाकार का अवॉर्ड देने की बात चल रही है। इसी सिलसिले में कुछ लोग घर आने वाले हैं। उनकी अच्छे से खातिरदारी करना।


थोड़ी देर में उन लोगों के आने पर रीमा ने हंस कर उनका स्वागत किया। उनमें से एक ने पूछ लिया कि कैसा लगता है इतने बड़े कलाकार की बीवी होकर और जवाब में रीमा ने मोहन की तारीफों के पुल बांध दिए।मोहन का सीना भी गर्व से ऊंचा था।


और हरिया वहीं खड़ा सब सुनता सोच रहा था कि बेस्ट कलाकार का अवॉर्ड तो मेमसाब को मिलना चाहिए।




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