STORYMIRROR

Shraddhaben Kantilal Parmar

Classics Inspirational

4  

Shraddhaben Kantilal Parmar

Classics Inspirational

बेजुबान लड़की

बेजुबान लड़की

1 min
367

लड़खड़ाती जुबां है मेरी

डगमगाते कदम है मेरे।

जब बोलना चाहा तो टोका है सबने

लड़की जुबां नहीं चलाती कहके रोका है मुझे।


आज टूट सी गई हूं मैं

बोलना नहीं आता यह ताना

हर किसी की जुबां से सुनती हूं।

क्या बितती है मुझ पे 

मैं शब्दों में नहीं ढालना चाहती हूं।


समझ नहीं पाओगे मुझे आप

इसलिए मेरा दर्द बयां नहीं करना चाहती।

जुबां होते भी मौन सी खड़ी है

आंखों में आसूं लेकर भी चुपचाप खड़ी है।


कमजोर नहीं है वो बोलेगी तो 

मां बाबुल के संस्कारों पे सवाल खड़ा होगा

सच्चाई कहेगी तो बतमीज कहेलाएगी 

वो बेजुबान लड़की।


लड़की है तो क्या सांस लेना छोड़ दे

लड़की होना गुना है क्या ?

क्यों कफस में बिठा कर उड़ने को कहते हो

क्यों संस्कार के नाम से बंदिशें लगाते हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics