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Shraddhaben Kantilal Parmar

Abstract Inspirational Children

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Shraddhaben Kantilal Parmar

Abstract Inspirational Children

बचपन के लम्हें

बचपन के लम्हें

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मेरी अनकही बातें तेरे जहन में आज भी है तेरे लिए बना मिट्टी का आशियाना संभालकर अभी तक रखा है। कुछ यादें बारिश में भीगने से ताजा हो गई वो मासूम मुस्कुराते जीना सिखा गई।

दोस्ती के वो लम्हें वो हवा का जोखा, बहती समंदर की लहरे बहुत कुछ कह जाती हैं। तुम अब साथ नहीं मेरे , होती है अब सिर्फ बाते तेरी..... आंखों में हमारी दोस्ती की तस्वीर प्यारी सी यादें हैं। पास ना सही साथ रहने का वादा आज भी याद है। ए बसंत की बाहर अपनी महक फैलाती हैं ऐ हवा का झोंका कानों में मधुर नाद सुना जाता है।

काश....! वो बचपन फिर लोट आता । हम मिलकर बहुत सारी फिर से शरारत कर सकते वो लम्हें खो गए उसे फिर से जी भर कर जी ले सकते। वो लड़ाई छोटी छोटी बातों में एक दूजे से नाराज हो जाना फिर थोड़ी ही देर बाद एक हो जाते वो दिन भी कितने सुहाने थे ना।

ना कोई का टेंशन और ना कोई बात की फिकर बस बिंदास अपनी ही मोज मस्ती में जीते थे। बड़ो का प्यार दादी की वो कहानी , दादा की छुरी लेकर वो खेलना कितने सुहाने मौसम में वो झरने के नीचे बैठ ज़ांजार सी आवाज उठाती थी। काश...! लोट आता वो बचपन जिसकी इतनी प्यारी यादें वो लम्हें लिखना चाहती हूं वो मिट्टी को खुशबू अपनी श्वासो में भर देना चाहती हूं। वो यादें फिर से जी कर अपनी कविता या कहानी के जरिए सबको सुनना चाहते है हम।

 हम मिलकर बचपन फिर से कविता या कहानी के जरिए जी ले यही तमन्ना पूरी हो। 


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