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Shraddhaben Kantilal Parmar

Inspirational Others

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Shraddhaben Kantilal Parmar

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प्यार की मूर्त

प्यार की मूर्त

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आंखों में बसी सूरत हमारी। मां के दिल के सिंहासन पर बिठाया है हमें। कैसे आए आंच हम पर मां ने नजर हमारी उतारी। 


बिना मतलब के मां ही होती है दुनिया में जो जान न्योछावर करती हैं अपने बच्चों पे। हंस कर हर गम टालती है। प्यार से सीने से लगा कर बड़े लाड से पालती है। भूखा रह कर हमें खिलाती है गीले में सो कर सके में हमें सुलाती है। क्यों ढूंढूँ ईश्वर को कही पे मेरे पास रहती हैं मेरी मां। उन के चरणों में सारे तीर्थ का पुण्य समाया क्यों ढूंढूँ पत्थर के मूर्त में ईश्वर को । नयनों में बसाई मां की सूरत अर्पण किया अपने जीवन को उनके चरणों में। कैसे पड़े कोई ग्रह मुझ पे भारी जब की सबसे शक्तिशाली मेरी मां ने मेरी क़िस्मत की कलम उठाई। लिखी कलम से मेरी भविष्यवाणी कैसे आए मेरे पे संकट कोई भारी।


बिना मतलब के एक मां ही होती है जो जान कुर्बान करती हैं अपने बच्चों पे हंसकर अपना हर गम वार लेती हैं। लाखों हो गम जीवन मैं मुझे देख मुस्कुराती है। चोट लगे अगर मुझे तो आंख उनकी भर आती हैं रात रात कर जगकर भी मेरी फिक्र दिन रात करती हैं। 


किस्मत ने आजमाया है बड़े भाग्य से मैंने मां को पाया है। ऋणी है हम तुम्हारे ईश्वर की तुझे अपनी परछाई हर घर मैं भेजी है। लाखों दर्द में भी मां की गोद में सुकून मिलता है। हार कर भी हमें हिम्मत देती हैं उमंग के सितारों को बुलंद करना सिखाती हैं। प्यार से या लड़ झगड़कर भी हमें नेकी का राह पे चलना सिखाती हैं।


हर मोड़ पे मेरे साथ रहती हैं। प्यार कि मूर्त मैंने अपने जीवन मैं पाई है। आंखों में बसी सूरत तेरी मुहब्बत है हमें तुझ से। सितारों से रौशन हो अंगना हर जहां कदम तेरी पड़े । तेरी मुस्कान से हर घर स्वर्ग बन जाए मां की दिल का सुकून बन जाऊं। लाखों गम उठाए हैं मेरे लिए अब ए जिंदगी तेरे नाम कर जाऊं। मौत को हंसकर भेट लूं, तेरे पे अपनी जान कुर्बान कर लूं। 


कोई न कर पाएगा मेरी फिक्र तेरे सिवा मेरा कोई नहीं है मेरी मां। तेरे सिवा न किसी को चाहा न किसी को चाहना चाहते हैं तू ही मेरी सितारों का जहां है तेरे हवाले जिंदगानी मेरी तेरी शरण में खुद को अर्पण किया।


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