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my writing world

Romance

3  

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बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते

3 mins
150


सोनिया नीना को काम करते हुए परेशान करती पहले तो नीना ने सोचा कुछ नहीं बोलू शायद वो ज्यादा सोच रही है

पर ये अक्सर होने लगा तो नीना को लगा अब बात करनी होगी पर सोनिया के सामने जाने कैसे उसकी बोलती बंद हो जाती।


 तो नीना ने एक तरकीब निकाली  बीमार होने का अभिनय करा 

" क्या हुआ भाभी आपको?"

 "मेरी तबियत ठीक नहीं!" 

 "पर आपको तो बुखार नहीं है!" 

 "मुझे अंदर से ठण्ड जैसा लग रहा है!"

 सोनिया ने नीना का सर अपनी गोद मे रखा और लाड़ करने लगी  नीना को अच्छा महसूस होने लगा 

 पर सोनिया को थोड़ा उसकी गलती बतानी भी जरूरी थी 


कुछ देर बाद सोनिया उठकर दूसरे कमरे मे चली गई 

 अब वो नीना से दूर रहने लगी  इस बात से नीना को खुशी हुई की मेरी सीख काम आयी 

 पर ये कुछ देर की खुशी थी  अगले दिन सोनिया अपना सामान पैक करके वापस जाने लगी 

अरे तुम कहां जा रही हो 

बस भाभी कॉलेज खुलने का समय पास आ रहा है 

कॉलेज खुलने वाले है इसलिए जा रही या मैंने समझाया इसलिए 

भाभी....... 

क्या ये सही नहीं कहा मैंने 

 ऐसा नहीं है भाभी 

तो क्या बात है तुम अचानक जाने को कैसे तैयार हो गई 

हाँ भाभी पहले आपसे नाराज होकर ही जा रही थी 

पर अब नहीं 

क्या अब भी नाराज हो 

नहीं भाभी 

 तुम मुझे अपनी सहेली कह सकती हो शायद तुम्हें अच्छा लगे 

थैंक्स भाभी मुझे सच मे इतने अच्छे से समझाने के लिए 

अब दुःखी मत हो और मुस्कुरा 


फिर दोनों मुस्कुरा दी और गले लग गयी 

अब अभी कहीं नहीं जाएगी 

हाँ भाभी प्रॉमिस 


नीना ने सोनिया के लिए सूजी का हलवा बनाया. 

वाह भाभी इसका टेस्ट बहुत अच्छा है 

 सोनिया फिर से नीना को गौर से देखने लगी 

 

 क्या देख रही हो ? 

 कुछ नहीं भाभी 

 मुझे जीवन मे कभी प्यार नहीं मिला इसलिए तुम्हारा ये प्यार मैं समझ सकती हूं बस इंतजार है उस दिन दिन का जब राजेश को मेरा प्यार दिखेगा! 

ऐसा जरूर होगा भाभी उन्हें समय नहीं मिलता ऐसा तब होता है जब परिवार का ही बहुत सोचते हो अपना नहीं सोंचते हो तो बस बिजी रहते है आप भैया पर नाराज मत होना वो आपको समझेंगे 

थैंक्स सोनिया इतने से समझा दिया 

 

तीन दिन बाद सोनिया वापस हाॅस्टल चली गयी उसी शाम को राजेश आया वो बहुत सामान बेचकर भी आया था शहर काफी पैसे लेकर आया था 


राजेश नीना के गले लग गया आज राजेश के गले लगने मे अलग बात थी जो की अमूमन नहीं होती आज वो सुनने को खड़ा था उसे कहीं नहीं जाना था नीना राजेश को फुर्सत मे देखकर खुश हुई

दोनों गले लगे फिर दोनों ने चाय पी फिर राजेश ने गाना चलाया 

 

मौसम कोई भी हो 

 हम तुम ऐसे ही 

 एक दूजे के रहेंगे 

 ये बरखा भी 

करे नादानीयां

 

नीना ने कुछ ऐसी ही कल्पना करी थी  आज सही मायने मे उसे सब कुछ मिल गया था  जो उसके लिए पैसे से बढ़कर था

 राजेश ने सोनिया के खाते मे थोड़े पैसे जमा कराए। नीना जो हमेशा उदास रहती थी राजेश ने एक पल मे ही पूरी उदासी हटा दी थी । 


 समाप्त 


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