बदलते रिश्ते
बदलते रिश्ते
फ्लैशबैक
नीना खोयी हुई थी राजेश का फोन आया वो दुकान के काम से बाहर जा रहा है
सोनिया आने वाली है उसका ध्यान रखना मैं कुछ दिनों मे आ जाऊँगा सोनिया मेरी दोस्त और बहन है ये कहकर राजेश फोन रख देता है!
दोपहर को दरवाज़े की घंटी बजती है
"कौन?"
" मैं सोनिया भैया ने बताया होगा मेरे बारे मे!"
नीना ने दरवाज़ा खोल दिया । सोनिया आयी और नीना के गले लग गयी
नीना ने कुछ माइंड नहीं करा और कहा "तुम हाथ मुँह धों लो मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं!"
सोनिया सफर की थकी हुई थी तो नीना को पूछा "क्या मैं नहा लू?"
"इसमे पूछने की क्या बात है?"
"पर मेरे पास पहनने जैसी कोई ड्रेस नहीं!"
"तुम एक काम करो मेरी सलवार पहन लो!"
"पर मैं मॉडर्न ड्रेस ही पहनती हूं"
"पहन लेना जब तुम्हारे कपड़े धोकर सूख जाए!"
"जी ठीक है!"
नीना ने सोनिया को सलवार कपबोर्ड मे से दिया और पानी गर्म करा
नीना दोनों के लिए चाय बनाने लगी थोड़ी देर मे पानी गर्म हो गया सोनिया नहाने गयी वो बहुत थकी हुई थी उसे गर्म पानी से अच्छा लग रहा था!
नहाकर सोनिया बाहर निकली फिर आकर नीना को गले लगी
"ये क्या कर रही हो मुझे काम करने दो ना!"
"भाभी मैं तो हाॅस्टल ऐसे ही गले लगती थी तो आदत हो गयी!"
"पर सोनिया ये हाॅस्टल नहीं!"
सोनिया पर शायद ज्यादा फर्क नहीं पड़ा
"भाभी इतना क्यों नाराज हो रहीं आप?"
"सोनिया तुम्हारी उम्र ही ऐसी है इसमे सही गलत का पता नहीं चलता!"
"ओह भाभी आप सिर्फ गले लगाने मे इतना सुनाने लगी?"
"मैं सुना नहीं रही बस बता रही हूं तुम्हारी उम्र कच्ची उम्र है सही गलत का पता नहीं पड़ता "
"शायद मेरा आना आपको अच्छा नही लगा!"
"मेरा वो मतलब नहीं था!"
चाय पीकर सोनिया अपने कमरे मे चली गयी नीना सोचने लगी अब वो क्या कहें भलाई भी बुरी लगती जब
फिर नीना अपने काम मे लग गयी और सोनिया मोबाइल चलाने लगी उसका मूड ऑफ हो गया था
क्या नीना सब सही कर पाएगी
या सोनिया की बातों से समझोता कर लेगी
