A T

Abstract

4.5  

A T

Abstract

बात पते ‌की

बात पते ‌की

3 mins
254


भाभी क्या ऐ‌ बात आपने सुनी? पुष्पा भाभी ने अपने पड़ोसी सुषमा भाभी से कहा. शर्माजी और उनकी पत्नी ओल्ड एज होम में भर्ती होने जा रहे है। कल‌ युग है भाभी कल युग कहा सुषमा भाभी ने। शर्माजी और उनकी पत्नी ने दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा प्राप्त कराया,हर मांग पूरी कराया,खुब सारा पैसा खर्च करके उनकी हर इच्छा पूरी करने के बाद उनके बेटों ने ऐ क्या सिला दिया किसीको समझ मे नहीं आ रहा था।    ‌। सब गोकुल धाम वाही भारी मन के साथ उसी शाम को फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया।

शाम को सब लोग सोसायटी के क्लब हौस में इकट्ठा हुए। कुछ समय बाद शर्माजी और उनकी पत्नी लक्ष्मी भी वहां पहुंचे। सब‌ने अपने अपने स्थान पर बैठे और प्रोग्राम शुरू हुआ। सभी ने उन दोनों पति-पत्नी के खुब सारा तारीफ करते हुए अच्छे अच्छे शब्द बोले। कुछ समय बाद शर्माजी की भारी आई। उन्होंने सभी को आभार प्रकट करते हुए कहा हम आप सब के प्यार और भाईचारा देख कर बहुत खुश हुए और इसको भुल नहीं पाएंगे। यहां हमने जो समय बिताया ओ हमेशा हमारी दिल में रहेगा।

अब रही बात ओल्ड ऐज होम जानेका प्लान के पीछे की मकसद मै आप सब के साथ शेर करना ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌चाहता हूं।  शर्माजी बोलने लगे। आप सभी को आभार व्यक्त करता हूं और कुछ बातो का खुलासा करते हुए मैं मेरे आगे का सफर के बारे में कहना ‌‌चाहथा हू की ऐ‌ हम दोनों पति-पत्नी का आपस में किया गया फैसला ही है। बच्चों ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌से‌सलह‌ मषवरा करके ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ही‌  हमने ऐ तै किया। जैसे कि आप सब लोग ऐ जानते हो‌ की हमने हमारे बच्चों को बेहतरीन स्कूल और कॉलेज में प्रवेश दिलाया, उनकी हर इच्छा पूरी की,आज ओ अपने जीवन में ‌‌खूब तरक्की करके खुश‌ है। आप सोचते होंगे के ऐ कैसा कलयुग आ गया के मां बाप को ओल्ड एज होम में भर्ती करा रहे हैं । ‌‌‌‌‌असलबात ऐ है कि ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌इसमे उनकी कोई गलती नहीं है।

हमने हमारे बच्चों को पढ़ाई के दौरान और उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु अमेरिका भेजा और बच्चों ने वहीं पर नौकरी भी कर लिए। हम उनको हमेशा सपोर्ट किया। पैसे की कोई कमी नहीं थी क्योंकि हम दोनों पति-पत्नी नौकरी करते थे ना। बच्चों के शादी भी हमने वहीं पर जो भारतीय मूल के लड़कीयों ‌‌‌‌‌‌‌‌से करादिया । हम अमेरिका एक दो‌ बार गऐ थे। पहली बार जब गए तो बेटों ने खूब सारे जगहों पर घूमाया। बहुत मज़ा आया था। बाद में जब गए थे तो बेटों के पास हमारे लिए टैम नहीं था। उनका कोई गलती नहीं थी। वो अपने अपने काम में मशरूफ थे। हम पूरा दिन टीवी के सामने बैठे रहते । मेरी पत्नी ‌‌‌‌घर के काम काज में बिजी रहती थी। जैसे तैसे वक्त गुजरा करते। जब भारत वापस आऐ हमें अहसास हुआ कि हम यही पर खुश रह सकते हैं । अपने देश में जो अपनापन है कहीं और उपलब्ध नहीं हो पायेगा। बच्चों के साथ चर्चा करने के बाद ही हमने ओल्ड एज होम में भर्ती होने का फैसला किया।

वहां हम आराम से रहने ‌‌‌‌‌‌‌‌के‌ लिऐ जो कुछ चाहिए ओ हमारे बच्चे उपलब्ध करादेगे।          ‌‌‌‌  

एक बार फिर से आप सभी को घन्यावाद प्रकट करते है। जाते जाते एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि आप कि इच्छा कभी भी अपने बच्चों पर थोपिए मत उनको वहीं करने दे जो ओ करना चाहते हैं। आप अपने आपको स्वस्थ और मजबूत रखिए और खुश रहिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract