दोस्त बना दुश्मन
दोस्त बना दुश्मन
ए एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी है जो मुझे मेरे दोस्त ने बताया। वो दोस्त इस किस्से से बहुत दुखी हुआ। ।
कहानी कुछ पुरानी है मेरे दोस्त के पास एक पुरानी मोटर साइकिल थी। वो उस गाड़ी का उपयोग नहीं कर रहा था क्योंकि उसने नई मोंडल कि दूसरी बैंक खरीदा। एक दिन उसका दोस्त जो उसकी जिगरी दोस्त कहलाता था उसको कुछ दिनों के लिए एक गाड़ी की जरूरत पड़ी। अब उसको मना करने का कोई चारा नहीं था। फिर मजबूरी में कुछ दिन के लिए मेरे दोस्त ने उसके दोस्त को अपनी गाड़ी दी अब शुरू हुआ नया किस्सा जो दोस्त हुआ करता था कैसे दुश्मन बन गया और एक सबक भी सिखाया,की जिंदगी में कभी किसी के उपर ज्यादा भरोसा नहीं करनी चाहिए। ।
दरअसल हुआ यूं कि लगभग तीन महीने गुजर गए लेकिन मेरे दोस्त के दोस्त ने गाड़ी लौटाने नहीं आया। उसने तिन चार दिन कहके गाड़ी लेकर गया था। जब मेरे दोस्त ने गाड़ी वापस करने कि बात की तो उसने ए ज़वाब दी कि उसके ससुराल वालों को गाड़ी कि जरुरत पड़ी तो कुछ दिनों के लिए वहां भेज दिया। इस बात को लग भग १५ दिन बीत बीत गए और उसके दोस्त ने नाही गाड़ी लौटाए नाही वो मेरे दोस्त के घर आया।
जब मेरे दोस्त उसके घर गया तो पता चला कि उसके दोस्त अस्पताल में भर्ती हुआ तो मेरे दोस्त अस्पताल गया। उधर जाने के बाद जो बात पता चली उस बात को सुनकर मेरे दोस्त को बहुत जोर का झटका लगा। जब मेरे दोस्त ने उसकी दोस्त कि पत्नी से बात कि तो असली बात पता चली। असल में उसका दोस्त ने चुप चाप मेरे दोस्त कि गाड़ी बेंच डाली और उस पैसों को खर्च कर दिए थे। क्योंकि मेरे दोस्त दबाव डालने लगा तो जिनको गाड़ी बेंच दिया था उनसे गाड़ी वापिस लेने गए थे ताकि मेरे दोस्त को गाड़ी दिखा कर फिर से दोबारा मांग लेगा और जिनको गाड़ी बेची थी उनको वापस कर देंगे, परन्तु उन लोगों ने गाड़ी वापस करने से मना कर दिया और गाड़ी के कागज मांगने लगे। फिर आपस में झगड़ा और मारपीट हुई तो ऐ अस्पताल में भर्ती हुआ।
आज भी मेरे दोस्त ए बात समझ नहीं पा रहा कि जिस दोस्त को जो बचपन से लेकर अब तक एक करीबी बन कर रहा ऐ इतना बड़ा धोखा कैसे दे सकता है भला।
शायद उसके कानों में एक गाना जरुर बजता होता "दोस्त दोस्त ना रहा, जिंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा".