अंक शास्त्र
अंक शास्त्र
यार सुरीली कहा हो ? बहुत दिनों से नाहीं शक्ल दिखाई नाहीं कुछ फोन पर बात हुई, क्या बात है? बिजी हो क्या? ऐ फोन सुरीली को उसकी दोस्त नेहा ने किया था। दोनों एक ही स्कूल में अध्यापक थे और उसी दौरान दोनों अच्छे और पक्के दोस्त बने थे। आपस में खूब सारे चर्चा कर हर बात एक दूसरे के साथ शेयर करना उनकी आदत सी बन गई थी। सुरीली ने कहा नेहा तुम तो जानते ही हो ना मुझे दसवीं कक्षा के छात्रों के बोर्ड हिन्दी पेपर चेक कर ने की ड्यूटी लगाई गई है।अब तुझे तो पता ही है उसमें कितनी टइम लग जाता है,अभी तो आधा ही चेक हुएं हैं। तुम बताओ क्या कर रही हो? अगर फरही हो तो घर आजाओ चाय पीते हैं और गप्पे लगाते हैं।ठीक है यार आती हूं बाय कह कर नेहा ने फोन काट दिया। ओ जल्दी से तैयार हुई और सुरीली के घर पहुंची।उसे देख नेहा को बहुत अच्छा लगा। दोनों सहेलियां आपस में खूब खुश हुए और बात चीत करने लगे। काफी समय के बाद सुरीली के मां दोनों के लिए चाय नाश्ता भिजवाई। उनके बात चीत जारी रही। अचानक सुरीली को याद आया के उसको बोर्ड के पेपर चेक करना था।यार नेहा तुम गप शप करते रहना मैं पेपर समेट ती हूं। नेहा ने पूछा बच्चों का पेपर कैसा है ?
सुरीली ने कहा इस बार का पेपर अच्छा गया और बच्चों ने अच्छा लिखा भी। लेकिन। ऐ कहते हुए सुरीली रुख गई और मुस्कुराथे हुए कुछ सोचने लगी। नेहा ने सुरीली से कहा क्या बात है यार हमें भी तो बताओ पेपर में ऐसी क्या दिखा के तुम मुस्काऐ जा रही हो। सुरीली ने नेहा से कहा आ तुझे कुछ दिलचस्प बात दिखाउ जो इस विद्यार्थि ने लिखा है।एक तरफ से सोछू तो मुझे हंसी आ रही है और गुस्सा भी।ना जाने क्या करने आते है ,पढ़ाई को मजाक बना कर रख दिया है। नेहा ने पेपर देख जोर से हंस ने लगी और बोली,यार ऐ विद्यार्थि तो लाजवाब है क्या दिमाग पाया है। नेहा ने हंसते हुए कही, मार्क देदे यार उसकी जिंदगी बन जाएगी।अब जरा असल बात पर आते हैं उस विद्यार्थि ने पेपर में बहुत विनम्रता से लिखा था " मैडम,आप के लाल पेन से दिए गए अंक मेरे मांग के लाल सिंदूर बन सकती है।मेरी शादी तय हो गई है, इस लिए मैं पढ़ाई सही ढंग से नहीं कर पाई। आप भी समझ सकते हो शादी तय होने के बाद पढ़ाई करना कितनी मुश्किल है। अंक देदो मैंडम।आभार। अब ऐ बात को बहुत समय हो चुका है। लेकिन जब भी पेपर चेक करने की ढूयटी लगती है तो सुरीली और नेहा को ऐ बात याद आती जरुर है। हल्की सी मुस्कान भी।
अब आप सोच रहे होंगे कि ओ विद्यार्थि का क्या हुआ? पास हुई या फेल? लाल पेन से सिंदूर कि रेखा बनी या नहीं? आप को जानकर खुशी होगी के ओ विद्यार्थि अपने कूद की मेहनत और काबिलियत से पास हुई। सुरीली को अंक झोड़ने कि जरुरत नहीं पड़ी। सुरीली ऐ सोच के खुश होती है कि ओ लड़की अपनी भावना व्यक्त करने के लिए ऐसा तरीका अपनाई जो बहुत ही सेहज और सुन्दर थी। सुरीली और नेहा ऐ भी सोच कर खुश होते हैं चलो एक लड़की ने अपनी काबिलियत से पास होके खुद को ताकतवर बना सकी।कयो की अगर एक लड़के ने पढ़ाई की तो अपने आप को और शायद और लोगों को भी ताकतवर बना सकता है, लेकिन अगर एक लड़की को पड़ने की क्षमता आगई तो पूरी वंश का उद्धार कर सकती है।
