A T

Drama Horror Action

3.5  

A T

Drama Horror Action

वो कौन था?

वो कौन था?

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175


परी को ‌‌‌‌‌‌सुबह जल्दी उठने की आदत थी। उठने के बाद अपनी दिनचर्या जोगिंग से शुरू करती थी। गर्मी के सीजन में लगभग पांच बजे दौड़ना शुरू करती थी। सर्दी के मौसम में करीब छ बजे घर से निकलती थी। वो खुद की डाइट और सेहत को लेकर बहुत जागरूक थी। उसने ये सब आदतें अपनी दादाजी से सीखा था जो फ़ौज़ में थे। परी ने कराटे और टेकवौडू भी सीख लिया था। उसके माता-पिता हमेशा ये मान के चलते थे की लड़कियों को आत्म निर्भर और सतर्क रहना चाहिए। परी ने उनके सिखाया गया हर बात को मान के चलती और खुद को आत्म निर्भर और सक्षम बनाया था। अब कहानी में आगे बढ़ते हैं। दिसंबर महीना था। हर दिन कि तरह परी उठ कर तैयार हुई और दौड़ना शुरू किया। थोड़ी देर बाद उसकी एक जूते की फीता खुल गई और परी उसको बांध ने‌‌ के लिए रास्ते के किनारे पे खड़े हुई। वो अपने काम में लगी थी, और तभी उसके पास एक आदमी आकर खड़ा हो गया। वो आदमी का उम्र लगभग चालीस पचास कि हो‌ सकती है। वो खुद को परिचित किया और जब परी ने फिर से दौड़ना शुरू किया तो वो भी उसके साथ साथ दौड़ना शुरू किया। परी को ये बात बहुत अजीब लगी। वो आदमी बातों बातों में खुद के परिवार के बारे में, अपनी नौकरी के बारे में और बहुत सारी इधर उधर की बातें करने लगा। वो परी को छूने की भी कोशिश करने लगा। परी को ये सब बातें अजीब लगा और उसको गुस्सा भी आ रहा था। उसने उस आदमी को धक्का भी दिया और आगे चलने लगी। वो आदमी जल्दी ही फिर उसके पास आया और अजीब सी हरकत करने लगा। अब परी को समझ में आने लगा कि वो आदमी के मंसूबे ठीक नहीं थे। अगर वो कुछ ग़लत हरकत करने की कोशिश करता तो परी अपने कराटे की करतब करती। शायद वो आदमी ये समझ गया था और उसके बात करने का ढंग बदल गया और परी को बेटा कहने लगा। परी ने देखा आसपास कुछ लोग भी सुबह कि दौड़ लगा रहे थे। दूध वाले और अखबार वाले भी दिखे। परी में हिम्मत आई। उसको ये भी लगा कि शायद वो आदमी ने लोगों को देखने के बाद अपने बर्ताव को बदल कर ढंग से पेश आ रहा था। कुछ देर बाद वो आदमी ने परी से कहा, बेटा चलो तुम्हें मेरा घर दिखाऊ कहते हुए सामने कि गली में जाने लगा। परी ने कह दिया नहीं अंकल मुझे देर हो रही है, ये कहते हुए जल्दी से वहां से निकल ली। जाते जाते वो मुड़ के देखी की तो उसने देखा वो आदमी ने उलटे पांव दूसरे रास्ते पर जा रहा था। परी को ये बात हज़म नहीं हो रहा था ‌‌‌‌‌‌‌की वो आदमी कौन‌ था और उसका मंसूबे क्या था। आज भी कभी ये किस्सा याद आता है तो उसको डर से पसीना आने लगते हैं। और खुद की हिम्मत और अक्लमंदी पर नाज़ करती है। और हां लड़कियों को कराटे और टेकवौडू सीखने की सलाह देती हैं। इसलिए नहीं कि ओ‌ हर जगह और हर समय इसका उपयोग कर लोगों को डराएं, बल्कि इसलिए कि जरूर पड़ने पर अबला नारी नहीं सबला बन कर खुद का और बाकीयों को भी संभाले। अच्छा विचार है कि नहीं?


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