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Archana kochar Sugandha

Abstract

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Archana kochar Sugandha

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बाइज्जत बरी

बाइज्जत बरी

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लो कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई की पूछताछ में बृज किशोर के विरुद्ध चले मुकदमों में पर्याप्त सबूतों और गवाहों के अभाव में उसका दामन पाक साफ मिलता है।

इस बिनाह पर हजारों गुनाह करने के पश्चात भी, पन्द्रह साल बाद कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। उनके जेल से रिहा होने की खुशी में, उनके समर्थक ढोल. नगाड़े,

बम पटाखों से उसका स्वागत करते हैं तथा जेल से लेकर घर तक मुस्तैद खड़े लोग ट्रैफिक को इधर.उधर की सड़कों पर तितर.बितर करते हैं, ताकि बृजकिशोर के काफिले को घर पहुँचने में किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े। घर लौटते हुए रास्ते में बृजकिशोर मन ही मन सोचते हैं,

मैंने बेइंतहा धन संपत्ति को दो नंबर में कमाया और बाइज्जत बरी होने के लिए दो नंबर में ही लुटाया।अब तो केवल ऊपर वाले को ही दो नंबर में पटाना शेष रह गया है जिसने मेरे कारनामों का हिसाब अपने बही खातों में इतनी कड़ाई से लिख रखा है।

उसे शायद मेरी ताकत का अनुमान नहीं है।


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