प्रेम विडंबना
प्रेम विडंबना


इतने सालों के मां-बाप की परवरिश और साज-संभाल से बेखबर लड़की का लड़के की जंघा पर हाथ टिकाकर अपने पूरे शरीर का भार उसके ऊपर डालकर, उसका निश्छल तन-मन-धन से सम्पूर्ण समर्पण और लड़के का लड़की के कामुक अंगों की कामुकता में मदहोश हुए प्रेमी युगल के दर्शन अक्सर पार्कों में घने पेड़ों की ओट में, सुनसान राहों में होते रहते हैं । अंजान राहों के नादां मुसाफिर सोचकर हम भी अनदेखा करके अपनी राहों में आगे बढ़ जाते हैं। क्षणिक प्रेम के आकर्षण में कच्ची पगडंडियों के ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर भागते-भागते फिसल जाते है ये प्रेमी युगल और टुकड़ों में बिखरकर फैल जाता है लड़की का निश्छल प्रेम जंगल के कोनों में या सूटकेस में दफन होकर लावारिस लाश की पहचान में थाने-दर-थाने भटकता है गुनाह और गुनाहगार की तलाश में।