सौभाग्यशाली
सौभाग्यशाली


मधु ने आकाश की दुल्हन अनुपमा की गेट पर मंगल आरती उतारी। दाहिने पैर से चावल कलश को गिराकर कुमकुम के पदछाप छोड़ती सुख-समृद्धि और सौभाग्य लक्ष्मी ने गृह प्रवेश किया ।
स्वागत में रीति-रस्मों में हल्की-फुल्की हंसी-मजाक में ननद सुनयना,” लो मां रसोईघर की जिम्मेवारियों में आपके लिए एक बच्चा और बढ़ गया है। भाभी जॉब वाली है, हमारी तरह रसोईघर से आजाद । आकाश ने प्यार भरे अंदाज से पत्नी को निहारकर मुस्कुराकर बहन का साथ निभाया ।
तभी मधु वात्सल्यवश, “इसके आने से मेरे रसोईघर में एक बच्चा नहीं, पूरा परिवार बढ़ गया है । मेरे घर-आंगन में नन्हीं-मुन्ही किलकारियों की पद छाप गुंजरित होने को लालायित हो उठी हैं। पर आज से मेरी जिम्मेवारी एक बच्चे के प्रति खत्म हो गई है। “
तभी सुनयना हैरानी से, “मां आपका इशारा मेरी तरफ है।”
मधु, “नहीं, आज मैं अपने जिगर का टुकड़ा आकाश, अनुपमा को सौंपती हूं । शायद! मुंह दिखाई में इससे कीमती तोहफा मैं इसे दे नहीं पाऊंगी और हां, अब इस घर को नई होम मिनिस्टर मिल गई है, इसलिए जिम्मेवारी मेरी नहीं, अनुपमा की बढ़ गई है,” कहते हुए मधु भावुक हो गई।
अनुपमा को अपने भाग्य पर रश्क को आया और वह मधु के चरणों में झुक गई।