Archana kochar Sugandha

Inspirational

3.4  

Archana kochar Sugandha

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लिव इन रिलेशनशिप

लिव इन रिलेशनशिप

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“जिंदगी तुम बड़ी दल-बदलू हो।” 

जिंदगी के अंतर्मन में खलबली मच गई और पूछने लगी, “कैसे।” 

नीना, “बस, वैसे ही बोल दिया।”

इतना बोलकर नीना की जिंदगी में खलबली मचाता अंतर्मन तो शांत हो गया, लेकिन नमित की जिंदगी में खलबली मचा गया। आज नीना, कल रीना, परसों करीना, फिर और-और…।  यह सब रिश्ते जहां शादी के पावन बंधन पर कुठाराघात है, वहीं आधुनिकता के नाम पर लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों के स्वाभिमान पर भी गहरी चोट था। लड़कियों के मामले में नमित की रोज-रोज की इधर-उधर फिसलती नस नीना को हर हाल में असहनीय थी । 

नीना, “नमित हम चाहे रिश्तों के बंधन को किसी भी रूप में अंजाम दें, वह रिश्ता विश्वास और ईमानदारी तो चाहता ही है।”

समझाने पर नमित का एक ही नपा-तुला जवाब होता,” क्या नीना इतनी एडवांस होकर ऐसी दकियानूसी सोच रखती हो ।  लिव इन रिलेशनशिप में रहने का यहीं तो फायदा है, पुरातनपंथी शादी के बंधनों और रस्मों रिवाजों से आजाद, फिर ठहाका लगाते हुए अर्थात् आजाद पंछी ।” 

फिर नीना,” लिव इन में रहते हैं, बाजारू नहीं है । इतने भी एडवांस नहीं हुए जो कपड़े की तरह मर्द-औरत बदले ‌।” कहते हुए उस उन्मुक्त परिंदे को सारे बंधनों से आजाद करके वह अपनी राह मुड़ गई और वह उन्मुक्त परिंदा स्वयं को परकटा महसूस करके फड़फड़ा रहा था।



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