Apoorva Singh

Tragedy

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Apoorva Singh

Tragedy

अवनी - कहानी संघर्ष की

अवनी - कहानी संघर्ष की

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'चिंटू, मेरी बात तो सुनो क्या हुआ बच्चा क्यूं मुंह फुलाए यहां अकेले बैठे हो'।मानसी ने तेरह वर्षीय चिंटू से पूछा जो अपनी मां अवनी से इस कारण से रूठ कर बैठा था आज फिर वो अपना किया हुआ प्रॉमिस भूल गई।मानसी ने अवनी की ओर देखा तो अवनी ने ' गुस्सा है ' इशारा किया।

चिंटू - मासी! आज भी मॉम के पास समय नहीं है।मै कब से उनका इंतजार कर रहा था क्यूंकि आज हमने जू घूमने का प्लान बनाया था।लेकिन हमेशा की तरह आज भी वो भूल गई।और इतनी देर से आईं

मानसी - ओह हो तो ये बात है।लेकिन बच्चे! आपको भी समझना चाहिए कि आपकी मां कितना सारा कार्य अकेले सम्हालती है।अब आप भी बड़े हो रहे हो आपको कोशिश करनी चाहिए अवनी को समझने की।

'मासी! बात समझने की नहीं है न।बात तो प्यार की है मॉम के पास सबके लिए वक्त है लेकिन मेरे लिए नहीं है।मै उनसे नाराज हूं।नहीं करनी है मुझे उनसे बात'।चिंटू ने गुस्साते हुए कहा और उठ कर अलग जाकर बैठ गया।

मानसी बोली, ' चिंटू, अवनी के लिए आपसे महत्वपूर्ण जीवन में कुछ भी नहीं है।उसने जीवन में संघर्ष बहुत किया है।ये जो आज आपके साथ अवनी रहती है वो पहले ऐसी नहीं थी बल्कि वो बहुत ही दबी दबी सी रहने वाली, सामाजिक बेड़ियों में जकड़ी हुई घरेलू हिंसा की शिकार एक महिला थी।जिसकी दुनिया तुम्हारे और तुम्हारे पिता के आसपास ही सिमटी हुई थी'।

मानसी की बात सुन चिंटू को थोड़ी हैरानी हुई और वो उसकी बातो में रुचि लेते हुए बोला आप सच कह रही है मासी,"क्या सच में मॉम ऐसी थी"?

'हां चिंटू चलो मै तुम्हे अवनी के बारे में कुछ ऐसा बताती हूं जिसकी जानकारी तुम्हे नहीं है।फिर तुम निर्णय करना कि तुम्हारा अवनी से नाराज होना कितना सही है ठीक है।'मानसी ने कहा।

मानसी की बात सुन चिंटू मानसी के पास आकर बैठ गया और उसके शब्दो की प्रतीक्षा करने लगा।मानसी ने बोलना शुरू किया 'चिंटू आज से दस वर्ष पहले की बात है जब अवनी आकाश के साथ भोपाल रहने आईं थी।वहीं हमारी मुलाकात हुई जान पहचान हुई और गहरी दोस्ती हो गई'।

"अवनी क्या हुआ ये चोट कैसे लग गयी है तेरे। हाथ पैरो में घिसटने,खुरचने के ये जख्म कैसे आ गये अभी कल शाम को जब मैं तुझसे मिली थी तब तक तो तू ठीक ठाक थी फिर सुबह तक ये जख्म कैसे"?छत पर कपड़े फैलाते हुए मानसी यानी मैंने अपनी छत से सटी छत पर बैठ धूप सेंकती अवनी से पूछा।

मेरी बात सुन कर अवनी कुछ देर खामोश हो गई थी। उसके जख्म ताजा हो गये और उसके जेहन में कल रात उसके साथ घटित हुई बर्बरता की तस्वीरे गुजर गयी।किस तरह बीती रात उसके पति ने शराब पीकर उसके साथ जबरन अमानवीय तरीके से सम्बन्ध बनाये।असहयोग करने पर उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया जिसके बारे में सोचकर ही उसकी आँखे नम हो गई थी।लेकिन अधिकांश भारतीय महिलाओं की तरह वो भी इन जख्मो का वास्तविक कारण छुपाते हुए बोली क्या बताऊं मानसी कल शाम को जल्दी जल्दी सारा काम निपटा रही थी रसोई साफ करने के लिए बाल्टी भर पानी लेकर आ रही थी चिंटू की बॉल लुढ़कते हुए सामने आ गयी और मैं उलझ कर गिर पड़ी।चूंकि बॉल पर गिरी थी सो थोड़ा घिसट गयी और ये चोट लग गयी।

"ओह।ध्यान रखा करो अपना खुद ठीक रहोगी तभी।सबका ध्यान रख पाओगी।ठीक अब मैं निकलती हूँ" मै ने कहा और मै नीचे चली गई।

मेरे नीचे जाने के बाद अवनी खुद से बोली

क्या बताऊं मानसी ,ये जख्म तो मुझे मेरे पति ने स्वयं के प्रति किये गये समर्पण के लिए प्रसाद स्वरूप दिये और मैं किसी से कुछ कह नही सकती अगर उसे भनक भी पड़ गयी कि मैं यहां छत पर तुमसे बात कर रही हूँ तो फिर मेरा छत पर आने पर भी प्रतिबंध लग जायेगा।इससे तो यही अच्छा है कि मैं मौन ही रहूँ।कहते हुए अवनी बुदबुदाई।और सोच में डूब गई

क्या थी मैं और क्या हो गयी।कितने सुखद स्वप्न संजोये थे मैंने क्या चाहा था जीवन से एक सम्मान देने वाला जीवन साथी,सर पर एक छत सुगम और सुन्दर तरीके से किया जाने वाला जीवन यापन।यही तो चाहा था आकाश से मैंने।सोचते हुए वो गुम जाती है अतीत में जब वो पहली बार आकाश से मिली थी।रेनू मौसी ने ही तो मिलाया था उसे आकाश से ताकि वो दोनो रिश्ता पक्का होने से पहले एक बार मिल कर एक दूसरे को जान ले समझ ले तब इस रिश्ते को पक्का कर दिया जाये।उस समय तो आकाश उसे एक सुलझा हुआ समझदार लड़का लगा।तीन बहनो और एक भाई के बीच अकेली अवनी को कहां पता था कि लोग दिखावा करने में इतने माहिर होते है कि बड़े बड़े अनुभवी लोगों को भी धूल चटा दें।आकाश से मिल उसके दिखावटी स्वभाव को देख उसने रजामंदी दे दी और आज वही आकाश मुझे अवनि (धरा) की तरह समझ रोज नयी नयी यातनाये देता कभी शराब पीकर पीटना तो कभी जानवरो सा सलूक करना।हर कार्य अपनी मर्जी से करवाना।उसे कैसे रहना है, क्या पहनना है कब उठना है कब बैठना है।यहां तक की वो खाना भी अपनी मर्जी से नही खा सकती और उसमे इतनी हिम्मत भी नही थी कि उसका प्रतिकार कर सकती।कैसे करती प्रतिकार वहां रुक कर आकाश से कुछ भी बोलना,व्यर्थ ही था और अगर हिम्मत कर वहां से चली भी जाती तो कहां जाती? पिता पर तो पहले से ही दो और बहनो की जिम्मेदारी है।उस पर अगर उसके निर्णय के बारे में पता चलता तो उनकी परेशानियां ही बढ़ती कम नही होती और एक अकेली महिला को ये समाज जीने नही देगा।उस पर उसके साथ उसका तीन साल का नन्हा सा चिंटू यानी कि तुम।तुम्हारा क्या होगा सब सोचते हुए वो अपनी आंखों में आये आंसुओ को पोंछती और फिर से सब भूल काम पर लग जाती।

लेकिन नियति ने अभी उसके लिए और भी यातनाये बचा कर रखी थी।एक दिन रविवार को अवनी घर में कार्य कर रही थी और आकाश घर में ही पड़ा हुआ आराम फरमा रहा था।अवनी सफाई करने के लिए कमरे में आई कि तभी आकाश का फोन ब्लिंक करने लगा।अवनी ने झांक कर देखा किसी का फोन आ रहा था। उसने झिझकते हुए फोन उठाया और कुछ कहती इससे पहले ही उसके कानो में कुछ शब्द पड़े।

आकाश ,कहां हो तुम पिछले दस मिनट से मैं यहां टाटा सिनेमाहॉल के पार्किंग एरिया में खड़ी हो कर इंतजार कर रही हूँ और तुम्हारा कुछ अतापता नही है।क्या कर क्या रहे हो तुम?कुछ बोलोगे भी।।कितनी देर में पहुंच रहे हो?जी वो अभी सो रहे है अवनी ने धीमी आवाज में कहा?तो फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई तुम आकाश की नौकरानी हो न अवनी!एक नौकरानी हो कर तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अपने साहब का फोन अटैंड कर लो।हां?उस लड़की की बात सुन अवनी शॉक्ड हो गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आया तो उसने कॉल कट कर दिया।और न चाहते हुए भी इस फोन वाली लडकी की बातों में उलझ गई।

तो क्या आकाश के जीवन में मेरी हैसियत पत्नी से इतर एक नौकरानी की है लेकिन क्यों?उसने ये बात उस लड़की से छुपाई या फिर सबसे ही?अवनी के मन में ये सारी बातें उठने लगी।एक बार फोन फिर से रिंग हुआ और इस बार अवनि ने फोन पर फ्लैश हो रहे नाम को देखा जो ऋषि के नाम से शो हो रहा था।उसने फोन उठाया तो फिर से उसी लड़की की आवाज सुनाई दी।

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई एक नौकरानी होकर होने वाली मालकिन का फोन कट करने की आकाश मेरे मंगेतर है।सो मैं अगर चाहूँ तो तुम्हे अभी के अभी नौकरी से निकलवा सकती हूँ।आकाश को फोन दो।उस लड़की ने कहा।उसके शब्द सुनकर अवाक रह गई थी अवनी।क्या कहे क्या बोले शब्द जैसे अटक ही गए थे उसके हलक में।बड़ी मुश्किल से अवनी इतना ही बोल पाई कि वो सो रहे है।

तो आवाज सुनाई दी ठीक है अब मैं खुद ही आकर तुम्हे देखती हूँ।कहते हुए उसने फोन कट कर दिया।उसकी बात सुनकर अवनी शॉक्ड हो वहीं बैठ गई थी।उसके कहे हुए एक एक शब्द उसके कानो मे गूंजने लगे थे वो समझ गई थी कि जिस शादी को बचाने के लिए वो पुरजोर कोशिश कर रही थी उस रिश्ते में अब कुछ बचा ही नही था।उस समय बेहद दुखी थी। वो तुरंत ही कमरे से बाहर चली आई और हॉल में खेल रहे अपने छोटे से बच्चे चिंटू यानी तुम्हे देखा तो तुम्हारे पास आ तुम्हे गोद में ले खुद से चिपका लिया था उसने।चिंटू जिसका एक छोटा सा तीन वर्ष का बच्चा हो एवं जिसका जीवनसाथी से रिश्ते का अस्तित्व ही बिखर गया हो उसका दर्द उसकी चिंता,तकलीफ हम सोच नहीं सकते।अवनी के मन में तूफान मचा हुआ था...रह रह कर कई सवाल उसके मन में उठने लगे थे

जिस रिश्ते में अब कुछ भी बचा ही नही है उसके लिए इतनी जिल्लतें क्यों सहन कर रही हो अवनी।जिस अधिकार से तू यहां रह रही थी वो अधिकार आकाश ने किसी और को देने का निर्णय कर लिया है।नही अवनी पानी अब सर से ऊपर निकल चुका है बात अब मान के साथ स्वाभिमान पर आ चुकी है जिसके साथ समझौता किसी को नही करना चाहिए।तेरा नाम अवनी(धरा)है और अवनी की तरह ही एक हद तक ही तू सब कुछ सह सकती है।अति होने पर धरा भी कुछ ऐसा करती है जिससे इंसान अंदर तक काँप जाता है और अब तुझे कुछ ऐसा करना होगा जिससे इसे सबक मिले और दूसरो को प्रेरणा।वो सोच विचार मे डूबी हुई थी कि तभी आकाश उठ कर आया और अवनी से एक कप चाय बनाने के लिए कहा।

अवनी आकाश के पास गई और उससे पूछते हुए बोली, आकाश ऋषि कौन है?ऋषि नाम सुन आकाश सकपका गया और बोला 'ऋषि कोई भी हो तुम्हे उससे क्या तुम जाकर एक कप चाय बनाकर लाओ।अभी के अभी'।आकाश की बात सुन अवनी बोली 'आकाश पहली बात मैं तुम्हारी पत्नी हूँ नौकरानी नही।दुसरी बात तुमने मेरी पीठ पीछे जो किया है मुझे सब पता चल चुका है सो अब मुझ पर धौंस और हक दोनो जताने का अधिकार मैं तुमसे वापस लेती हूँ।अब तक मैं सब चुपचाप सह रही थी क्योंकि मैं इस शादी को बनाये रखने की कोशिश कर रही थी। मुझे पता था कि तुम अच्छे हो बुरे हो जैसे हो मेरे हो मेरे पति हो सात फेरे लिए है मैंने तुम्हारे साथ लेकिन तुमने मेरा वो भरम भी तोड़ दिया।मैं चिंटू को लेकर यहां से जा रही हूँ'।अवनी ने जब आकाश के सामने मुंह खोला तो बोलती ही चली गयी उस दिन अवनी ने अपने अंदर समाया हुआ सारा डर निकाल फेंका।आकाश से बोल वो चिंटू यानी तुम्हे लेकर वहां से निकल आई।वहां से निकलने के बाद अवनी सीधा मेरे पास आई। मेरे यानी मानसी।जो उसकी सुख दुख की इकलौती साथी।उसके साथ जो भी घटित हो रहा था उसका मुझे तनिक भी अनुमान नही था चिंटू लेकिन उस दिन जब अवनी मेरे पास आई तब उसने पहली बार अपने सीने में छुपे दर्द को मुझसे साझा किया।उसका दर्द उसकी सहनशीलता उसका धैर्य देख मुझे बड़ा अचम्भा हुआ।कैसे एक पढ़ी लिखी आज के जमाने की युवती समाज में फैली कुरीतियो के डर से अमानवीय जीवन जीने को विवश थी।और मैं उसके इतने करीब होते हुए भी उसके दर्द को महसूस तक नही कर पाई।मैंने तुम्हे और अवनी को लखनऊ में रहने वाली अपनी दोस्त के घर भेज दिया।जहां रहते हुए अवनी ने लखनऊ की पहचान चिकनकारी के कार्य की बारीकियां सीखी और अपनी आजीविका की शुरुआत की।बुद्धि, मेहनत और धैर्य के बल पर अवनी धीरे धीरे आगे बढ़ती गयी।जिस सहनशीलता और धैर्य के सदगुण को वो अपने जख़्म सहने के लिए उपयोग करती उसी सहनशीलता एवं धैर्य के गुण को अपने कार्य क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आयी मुश्किलो का सामना करने में उपयोग करने लगी।चूंकि चिकनकारी बहुत ही बारीकी कार्य है और लेकिन धैर्य के कारण वो इस कला में पारंगत होती चली गयी और आज दस सालो बाद वो इस मुकाम पर खड़ी है कि अपने साथ साथ अपने ही जैसी जरूरतमंदों की मदद करने के साथ साथ उनके लिए प्रेरणा का कार्य कर रही है और तुम हो कि अवनी से इस बात पर झगड़ते रहते हो कि उसके पास तुम्हारे लिए समय नही है।वो तुमसे प्यार नही करती। चिंटू अगर अवनी तुमसे प्यार नही करती तो तुम्हे वहीं आकाश के पास ही छोड़ आती अपने साथ नही लाती।वो तुमसे बहुत प्रेम करती है चिंटू बस उसे समझने की कोशिश करो।

हम्म मासी!कहते हुए चिंटू कमरे में ही मौजूद अवनी के गले लग कहता है सॉरी मॉम अबसे ऐसा नही होगा अब मैं जान गया हूँ मेरी मॉम एक सुपरवुमन है।वो उन सभी के लिए आइडियल है जो परेशानियों से हार मान कर बैठ जाते हैं।लव यू मॉम..

लव यू टू मेरा बच्चा।।कहते हुए अवनी चिंटू को अपने अंक में समेट लेती है।



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