और प्यार हो गया
और प्यार हो गया
सुहाग सेज पर बैठी सेजल ने जैसे ही बाहर किसी के आने की आहट, सुनी उसने लेटकर जबरदस्ती अपनी आंखें मींच ली और कंबल से अपने आपको ऐसे ढक लिया जैसे वो सो गई हो। बाहर से आने वाली आहट अब बिल्कुल उसके पास आ गई थी। सेजल ने और कसके अपनी आंखों को बंद कर लिया।
कमरे में उसके पति देव आ चुके थे जो सेजल को सोया हुआ देखकर आराम से बेड के दूसरे किनारे पर जाकर लेट चुके थे। सेजल सांस रोके ऐसे लेटी थी जैसे अगर जरा भी हिली तो पता नहीं क्या अनर्थ हो जायेगा। पर आंसुओं पर उसका कोई बस नहीं चल रहा था। वो तो अपने प्यार के उन बीते दिनों की यादों में अनवरत बहे जा रहे थे।
कितनी खुश थी वो जब हर्ष ने कॉलेज में उसे रोज डे पर एक गुलाब के साथ प्रपोज किया था। हर्ष कॉलेज का वो लड़का जो जिससे कॉलेज की हर लड़की बात करना चाहती थी उसने सामने से आकर सेजल से उसका साथ मांगा था। हमेशा से खुद में ही खुश रहने वाली सेजल को तो समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे? क्योंकि मां पापा के संस्कारों के हिसाब से ये बहुत गलत बात थी और सहेलियों के हिसाब से बहुत अच्छी बात थी।
आखिर उसने वही चुना जो उसकी उम्र की लड़कियां चुनती है हर्ष की दोस्ती और उसका प्यार। ऐसा लगता था सेजल को जैसे वो सपनों की दुनिया में जी रही हो।
आखिर सपने तो होते ही टूटने के लिए है सेजल का सपना भी टूटा । सेजल की तरफ से जो सच्चा प्यार था वो हर्ष की तरफ से सिर्फ टाइम पास था। हर्ष ने तो सिर्फ सेजल जैसी सीधी साधी बहनजी टाइप लड़की को एक शर्त जीतने के लिए इस्तेमाल किया था। जब सेजल को ये सब पता चला तो टूट गई थी वो बड़ी मुश्किल से उसने खुद से लड़कर खुद को समेटा था उसके बाद उसने कभी पलट कर नहीं देखा। अपनी जिन्दगी से प्यार नाम के शब्द को ही उखाड़ फेंका था उसने । अपना सारा ध्यान किताबों में लगा दिया जिसकी बदौलत वो आज डॉक्टर सेजल थी।
सेजल के बीते समय के बारे में किसी को कुछ पता नहीं था। पता होता भी कैसे उसने अपने दिल की किरचें खुद ही समेटी थी वो भी चेहरे पर कोई शिकन आये बिना। इसलिये उसके पापा ने एक डॉक्टर लड़का देखकर उसकी बड़ी धूम धाम से शादी कर दी। पर सेजल का दिल किसी भी मर्द का सानिध्य पाने को तैयार ही नहीं था इसीलिये वो इस सब से बचना चाहती थी।
शादी के बाद दो चार दिन यूं ही रस्में पूरी करने में निकल रहे थे। इन सबके बीच बहुत कुछ बदल रहा था सेजल के अन्दर। वो महसूस कर रही थी कि हर्ष जहां कोई मौका नहीं छोड़ता था उसे छूने का उसने शायद ही कभी उसकी खुद से ज्यादा परवाह की हो । उससे उलट देव हर बात में उसका ख्याल रखता। फिर वो मुंह दिखाई की रस्म में काकी, ताई, बुआ से घिरी सेजल की अकड़ती पीठ के लिए किसी से बोल दीवार का सहारा देकर बिठाना हो या रसोई में सभी के लिए खाना बनाती सेजल को चुपके से किसी बहाने से कुछ खिलाना हो।
सेजल को देव का इतना ख्याल रखना कहीं दिल के किसी कोने में अच्छा भी लग रहा था। और एक डर भी लग रहा था कि कहीं ये भी सिर्फ उसको पाने के लिए कोई साजिश तो नहीं है? कहीं ऐसा न हो कि जिस दिन वो पूरी तरह देव की हो गई वो उसका यूं ख्याल रखना बंद न कर दे। बस यही सोचकर वो किसी न किसी बहाने से देव को खुद से दूर किये हुए थी।
सेजल की शादी को आज सातवां दिन था। सभी नाते रिश्तेदार जा चुके थे बस देव की सगी बहन ही रुकी हुई थी सेजल की पग फेरे की रस्म होने तक तो उन्होंने सेजल और देव को दो टिकिट एक रोमांटिक मूवी के लाकर दिये। सेजल का मन तो नहीं था देव के साथ जाने का पर ननद को मना भी नहीं कर सकती थी तो वो तैयार हो गई।
हल्की पिंक साड़ी में उसकी गुलाबी रंगत और भी निखर गई थी। वो तैयार होकर आईना निहार रही थी कि आईने में पीछे से देव की आंखों में अपने लिए प्यार और तारीफ देखकर वो बेचैन हो उठी थी और सेजल से नजर मिलते ही देव एकदम से घबरा गया और....
"चलिये देर और हो रही है" कह वो जल्दी से वहां से निकल गया। देव की इस हरकत पर सेजल के होंठों पर भी इक मुस्कान तैर गई थी। फिर भी पूरे रास्ते दोनों में कोई बात नहीं हुई।
पिक्चर हॉल में अन्दर जाने की लाइन में खड़ी सेजल पर जब वहां खड़े कुछ लड़कों की नजर पड़ी तो वो उसे घूरने लगे। तभी अचानक देव सेजल के बगल में ऐसे खड़ा हो गया कि उन लड़कों को वो दिखे ही नहीं। देव के इस अनकहे प्यार और उसकी परवाह ने सेजल के पुराने घाव भर दिये इसीलिये जब पिक्चर हॉल में दोनों बैठे तो सेजल ने प्यार से अपना सर देव के कांधे पर धर चुपके से अपने प्यार का इजहार कर दिया।
सखियों कभी-कभी अपने बीते दिनों में यूं उलझ जाते है कि आने वाली खुशियों और बदलावों को स्वीकार ही नहीं कर पाते। पर हमें जिंदगी एक ही मिलती है इसलिये बीते दिनों को भुला नई जिंदगी का स्वागत करना चाहिये।