Savita Negi

Romance

4  

Savita Negi

Romance

और हाँ प्यार भी है

और हाँ प्यार भी है

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विवाह एक ऐसा बंधन है जिसमें दो विपरीत स्वभाव के लोग जिंदगी भर साथ रहने के लिए बंध जाते हैं या यूं कहो कि 'बाध्य' हो जाते हैं। कभी हम खुद अपने लिए खुशी खुशी "पिंजरा" चुनते हैं और कभी घर वाले। विभा और रवि ऐसे ही विपरीत स्वभाव के दो प्राणी वैवाहिक बंधन में बंध गए। विभा चुलबुली, बहुत बोलने वाली, रोमांटिक स्वभाव और कुछ कुछ फिल्मी थी वहीं रवि बिल्कुल उदासीन व्यक्ति । उसका नीरस व्यवहार देखकर विभा को शादी के कुछ दिन बाद से ही शिकायत रहने लगी थी ।जब कभी वो कुछ ऐसे पूछती कि....


" सुनो, इस साड़ी में कैसी लग रही हूँ?" रवि फोन में देखते हुए " वाह गजब, बहुत सुंदर"


"अच्छा? (रवि को गुस्से में घूरते हुए) ये रंग कैसा लग रहा है मुझ पर?"


"मस्त"

 "क्या ! मस्त? बिना देखे ही बोल देते हो , पागल समझा है क्या?" पैर पटकते हुए विभा दूसरे कमरे में चली जाया करती । कभी विभा प्यार से पूछती कि कौन सी ड्रेस पहनूँ आज पार्टी के लिए, तो रवि का वही ढिलमुल रवैया ही होता। कुछ भी पहन लो , कपड़े ही तो हैं । रवि को लगता अब इसमें नाराज़ होने वाली क्या बात है। मैं तो नहीं पूछता कभी कि मैं कैसा लग रहा हूँ ? मैं क्या पहनूँ?

 पत्नियों की तारीफ़ वाली भावनाओं को समझना रवि के लिए नामुमकिन था। कभी कोशिश भी करता तो मुँह से कुछ ऐसा निकल जाता कि विभा खुश होने की बजाय और नाराज़ हो जाती। दरसहल रवि को दिल की बातों को शब्दों में उतारना नहीं आता था।


" सुनो, आज मौसम कितना रोमांटिक है , हल्की बारिश में बाइक में लॉन्ग ड्राइव पर चलें क्या?" अक्सर विभा बड़ी उत्सुकता से पूछती है ।


"अरे नहीं यार , इस मौसम में नींद बहुत अच्छी आती है । थोड़ा खिड़की का पर्दा लगा दो , अंधेरा भी हो तो सोने का मजा दोगुना हो जाता है।" विभा गुस्से में बस घूरती रवि को और कर भी क्या सकती थी ऐसे उदासीन पति के साथ। 'अच्छा सुनो , तुमको शादी से पहले कोई लड़की पसंद आई कभी ?"


'न बाबा न , मैं तो लड़कियों से बहुत दूर रहता था । कौन गर्ल फ्रेंड बना के मुसीबत पाले| मतलब कौन उनके नखरे उठाये । मेरे दोस्तों की थीं , लेकिन परेशान रहते थे| अब डिनर पर ले जाना है गर्ल फ्रेंड को , कभी गिफ्ट, कभी फ़ोन नहीं किया तो आफ़त।"


"इसको आफत नहीं कहते, रोमांस कहते हैं... रोमांस.... रोमांस" विभा जोर से चिल्लाई। "तुम नहीं समझोगे, वैसे भी तुम्हारे जैसे बोरिंग इंसान के पास कोई लड़की आती भी नहीं होगी ।"


"हाँ , वैसे आती भी नहीं थीं , तुम ही पहली लड़की हो।"


" हाँ , मेरे ही सितारे गर्दिश में थे, जो तुम्हारे चुंगुल में फंस गई।" रवि को कोई फ़र्क नहीं पड़ता था , मजे से चद्दर खींचता और सो जाता । एक दिन विभा ने रवि को सरप्राइस देना चाहा कैंडल नाइट डिनर का। घर सजाया, पूरे घर मे कैंडल जलाई , हल्का म्यूजीक, टेबल पर खाना पहले से लगा दिया था और सुर्ख लाल रंग की साड़ी पहनी और बालों में गजरा भी लगा कर किसी अप्सरा की तरह तैयार होकर बहुत बेसब्री से रवि का इंतजार करने लगी साथ ही यह सोचकर शर्मा जाती की उसे इस रूप में देखकर रवि जरूर प्रेम रस में डूब जाएगा।

 बैल बजने के साथ ही विभा अपने खयालों से बाहर आई, जल्दी से बत्ती बुझाई और दरवाज़ा खोला ।


"अरे! क्या हुआ, इतना अंधेरा क्यों है? बिजली नहीं है क्या ? इतनी सारी मोमबत्तीयां क्यों जलाई हैं ? बोलते-बोलते रवि ने खुद ही लाइट जला दी, है तो लाइट ।" और सारी मोमबत्तीयां बुझा दीं ।


"और तुमको क्या हुआ?" झेंपी सी कोने में खड़ी विभा को देखते हुए  "ये क्या पहन रखा है? इतना चटक लाल,मुझे डरा कर जान लेने के इरादे से पहना है? और ये मोगरे के फूल बाहर पेड़ से तुम्हारे बालों में कैसे उग आए? हा हा हा , पता नहीं इतना फिल्मी क्यों हो तुम ? 


 अरे वाह ! खाना पहले से लगा है , आ जाओ चेंज करके खाना खाते हैं।"

 विभा रुआंसी होकर कमरे में चली गयी। खुद को कोसते हुए कि इस नीरस इंसान के लिए कुछ करना ही नहीं चाहिए। कितना अनरोमांटिक इंसान है। उसकी भावनाओं की कोई कद्र नहीं इसके दिल में , इसको खाना और सोना ये ही दो काम आते हैं। रोमांस नाम की चीज नहीं जानता। विभा को नाराज़ देखकर रवि बस मासूम सा चेहरा बना देता था । मनाना भी नहीं आता था , बस चुपचाप एक जगह खड़े होकर विभा को देखता रहता था। उसको रोमान्टिक डॉयलोग बोलने बिल्कुल नहीं आते थे। ऐसा करने से विभा को और गुस्सा आता था कि जब मनाना नहीं तो सामने खड़े भी नहीं होना। विभा और रवि एक दोस्त की शादी में गए। विभा उनकी जय माला और उसमें होने वाली छेड़खानी देखने लगी। उसके बाद दूल्हा-दुल्हन का डांस । विभा की आंखों में चमक थी , मन ही मन सोच रही थी कि कितना रोमांटिक कपल है| रोमांटिक से उसे अचानक याद आया कि रवि कहाँ है? उसको खोज ही रही थी कि रवि रुमाल से अपना मुँह पोछते हुए आता दिखाई दिया। "ये क्या! तुमने खाना खा भी लिया?" "हाँ, खाना देखकर भूख लग गई थी । अभी खाना, बाद में खाना एक ही बात है तो खा लिया।"


मेरे साथ नहीं खा सकते थे! विभा का बीपी बढ़ गया था, लेकिन शादी के माहौल में कुछ नहीं बोल पाई । "तो खा लो उसमें क्या है , खाना बहुत है वहाँ।" और फिर से रवि ने गलती करने के बाद वही मासूम सा चेहरा बना दिया और विभा के पास खड़ा होकर उसे देखने लगा । गुस्से में विभा ने बस इतना बोला, "कभी तो मुंह से कुछ प्यार भरे शब्द बोल दिया करो । देखो आस-पास पति-पत्नी दोनों कैसे एक साथ खा रहे हैं, एक दूसरे को खिला भी रहे हैं और एक तुम हो !" गुस्से में विभा ने खाना ही नहीं खाया और दोनों घर आ गए।


इस बार विभा ज्यादा ही नाराज़ हो गई। अगले दिन सुबह भी रवि से बात नहीं की और वो भी चुपचाप ऑफिस चला गया। दोपहर को रवि ने विभा को कई बार फ़ोन किया, लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया । रवि बुरी तरह से घबरा गया । उसके दिमाग मे अब तक "सावधान इंडिया" के सारे एपिसोड घूम गए।


रवि तुरंत घर आया , देखा तो घर पर ताला था। दौड़-दौड़ कर सभी पड़ोसियों के यहां पूछने गया! घबराहट और डर से रवि पसीना-पसीना हो गया । इसके बाद सभी लोग विभा को खोजने के लिए जैसे ही सोसाइटी गेट की तरफ भागे, वैसे ही विभा सामने से आते हुई दिखी। उसको देखते ही घबराए रवि ने उसे झट से गले लगा दिया "कहाँ गई थी तुम ?" इतने लोंगो के बीच में रवि की हरकत से विभा झेंप गयी। "सब्जी लेने गई थी, वो जल्दी-जल्दी में फोन घर भूल गयी थी।" सभी पड़ोसी हँसने लगे "बेटा कितना प्यार करता है रवि तुमको, उसकी तो जान निकल गयी थी तुम नहीं मिली घर पर तो । पूरी सोसाइटी इकठ्ठी कर दी उसने।" रवि की हालत देख विभा भी हँसने लगी ।


रवि को छेड़ते हुए "आज तो मेरे बोरिंग पतिदेव ने इतने लोंगो के सामने मुझे गले लगाया। कहाँ से आई इतनी हिम्मत?"


"बोलता नहीं इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारी परवाह नहीं करता और हाँ, प्यार भी है!आइंदा फ़ोन घर पर छोड़कर मत जाना।" बोलकर दोनों हँसने लगे।




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