अटूट प्रेम
अटूट प्रेम
गीता लाइब्रेरी की कोने की टेबल पर पढ़ने ही बैठी थी, कि नयन दौड़कर आया-" है गीतू कितना पढ़ोगी, बोर नहीं होती तुम।"
"नयन प्लीज मुझे पढ़ने दो, तंग न करो " "ओके" नयन टेबल पर सर टिका कर बैठ गया।
"बहुत ज़िद्दी हो तुम," किताब बन्द करके गीता ने कहा। बोलो क्या चाहते हो।
"गीतू जानती हो मैं क्या चाहता हूँ, क्या कहता हूँ, फिर भी पूछती हो"
दर असल कुछ महीनों पहले गीता का ब्याह अच्छे घर में धूमधाम से हुआ था, किन्तु, जैसे पतिदेव को गीता से कोई सरोकार ही न था, गीता को कभी ये न लगा कि वह उससे प्यार करता है। धीरे धीरे प्रश्नों का सिलसिला और टकराव की नौबत आ गई।
कुछ ही दिनों में घर में होने वाली सास ननदों की फुसफुसाहट और पति की उपेक्षा ने शक के बीज को पक्का कर दिया।अंततः ये भी स्पष्ट हो गया कि वह पहले ही शादीशुदा यानी प्रेम विवाह कर चुका है। घरवालों को पता चला तो वे गीता को साथ ले आये, तलाक का मुकदमा भी चला दिया।
गीता और नयन दोनो कॉलेज में साथ ही पढ़े, वह शुरू से गीता से बेइंतिहा मोहब्बत करता था, और चाहता था कि, गीता सब भूलकर आगे बढ़े। किन्तु सामाजिक दायरे, खैर आज ज़िद पकड़ ली थी, नयन ने।
"नयन तुम जानते हो, मेरे पेरन्ट्स" "हाँ तो " नयन ने कहा कुछ भी हो सोच लिया है मैने, पहले अपने फिर तुम्हारे पेरेंट्स से बात करूँगा।
"वे नहीं मानेंगे "गीता बोली।
"चलो देखते है" नयन ने कहा
कुछ दिन निकले ही थे, की अचानक कॉलेज की बालकनी से गुजरती गीता को चक्कर आये, और वह नीचे गिर गई थी।
"ओह" नयन घबरा गया, जैसे तैसे हॉस्पिटल में एडमिट किया।
"सर प्लीज फॉर्म फील कीजिए, ऑपरेशन करना होगा"
वैसे आप ही इनके साथ है ना, या कोई और--"जी मैं ही" शब्द गले में अटक रहे थे। पर चेहरे पर एक दृढ़ निश्चय और फैसले के भाव थे।"
पति वाले कॉलम में नाम था- "नयन वर्मा " फिर गीतू के घर सूचना देने को मोबाइल भी निकाल लिया।
आज एक त्रासदी की परिणति हो चुकी थी "अटूट प्रेम"