Kusum Sharma

Inspirational

1.0  

Kusum Sharma

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प्रेरणा

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"सर प्लीज आप भी चलिए न भोपाल" निधि के स्वर में रिक्वेस्ट थी।

"नही निधि; कुछ अर्जेंसी है और मीटिंग भी अटेंड करना है। मेरी शुभकामनाएं ओर आशीर्वाद है" सर ने स्नेह से सर पर हाथ रखा तो निधि भावुक हो गई; आज निधि को बेस्ट हॉकी खिलाड़ी का अवार्ड मिलना था।

"लेकिन सर मुझे वो अवार्ड अपने सर के हाथ से ही लेना है" बोलते बोलते आँखे छलछला उठी।

"नही निधि वहाँ बहुत बड़े लोग होंगे जो तुम्हें अवार्ड देंगे,ओर हम तो आये दिन तुम्हें प्रमाण पत्र और इनाम देते ही रहते है।" हँसते हुए समझाने का प्रयास किया।

सर आप नही जानते आप और ये स्कूल क्या है मेरे लिए, अगर आप लोग खेल सामग्री उपलब्ध नहीं करवाते मेरे माता-पिता को नहीं समझाते तो क्या में घर से बाहर निकल पाती ? क्या अपनी कोई पोजिशन बना पाती ?

बेशक मुझ में हौसला था लेकिन हौसलाफ़जाई ओर परवाज देने वाले आप गुरुजन ही थे ! एक निम्न सरकारी स्कूल की गरीब छात्रा का नेशनल में चयन होना साधारण बात नहीं थी।

मेरी नजरों में आप ओर सभी गुरुजन सबसे बड़े हैं और आपके हाथों अवार्ड लेना मेरा सौभाग्य !

"अच्छा बाबा कुछ करता हूँ" मुस्कुराकर सर ने कहा।

"वाओ सर "खुशी से चहक उठी नेहा।

"ओर अब बारी है राज्य हॉकी प्रतिस्पर्धा में अपना कमाल दिखाने वाली खिलाड़ी निधि वर्मा की, प्लीज स्टेज पर आइये।"

"सर चलिए न"निधि ने सर का बाजू पकड़ लिया।

नही निधि, में क्लिक करता हूँ तुम जाओ।

पुनः आमंत्रण का स्वर स्टेज से गुंजा तो निधि दौड़कर स्टेज पर चढ़ गई,अतिथि ओर मंत्री जी के कानों में कुछ फुसफुसाया।

शासकीय हाई स्कूल के प्राचार्य श्री राजकुमार जी से सादर निवेदन है कि वे मंच पर उपस्थित हो।

मंच पर गर्वोन्नत निधि अपने सर के हाथ से शील्ड ओर प्रमाणपत्र प्राप्त कर रही थी।

तालियों की गड़गड़ाहट से स्टेडियम गुंजायमान था।


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