नातरा
नातरा
"नहीं, बिल्कुल नहीं करना "नाता"इसे अपने पति से सुलह करके उसी घर में जाना होगा।"
दादी ने अपना फैसला सुना दिया था।
आज कौशल्या फिर अपनें मायके आ गई थी, पति से उसका झगड़ा हुआ था।
दरअसल निम्न मघ्यमवर्गीय राजस्थानी परिवार की लड़की कौशल्या का बाल विवाह 11 वर्ष की उम्र में हुआ था, 16 की होते होते बिदाई दे दी, लेकिन कच्ची उम्र में जिम्मेदारी का दबाव बर्दाश्त न हुआ ।
माता पिता ने आपसी बैठक कर निष्कर्ष स्वरूप रिश्ता तोड़कर, पुनः अन्यत्र "नातरा" कर दिया ।
कौशल्या के पुनः आने, और ससुराल न जाने की जिद ने दादी को आक्रोशीत कर दिया।
"तू लड़कर आती रह, तेरा बाप फिर पैसे लेकर नया नातरा कर देगा, बस यही चलता रहेगा, जैसें मेरे बाप ने चार जगह नातरा करके मुझे "वेश्या" ही बना डाला। खुद उस पैसे से दारू पीकर मर गया।"
"में तो अनपढ़ गंवार थी , करमजली तू तो चार किताबें पढ़ी है, समझदारी रख, कब समझेगी ये, जो ले जाएगा चार दिन नखरे उठाएगा, "समझौता"करना ही है तो अब गृहस्थी से कर "शरीर" से न कर।
औऱ लकड़ी की ठक ठक संग बाहर दालान में जाकर लेट गई ।कौशल्या के मन के किंवाड़ खुल रहे थे, जैसे बिना सांकल के किवाड़ हल्की हवा से भी ढुलक जाते है।
नोट-----राजस्थान में जाति विशेष में लोग अपने स्वार्थ की खातिर एक लड़की की तीन चार जगह "पंचों में बैठकर"जो रिश्ते तोड़ते औऱ पुनः बनाते है उसे"नातरा"कहते है।
और ये नातरा भी गलत परम्परा बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से बेटियों का बिकना ही है।