अंतिम संस्कार

अंतिम संस्कार

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"अगर अब भी तुमने बात नहीं की तो चार जीवन बर्बाद हो जाएंगे अनु "विनय के स्वर में निवेदन ओर डर दोनों था।

"विनय तुम जानते हो न पापा को वे कर्मकांडी ब्राह्मण है,कैसे कह दूँ कि तुमसे प्यार?" शब्द अधूरे छूट गए।

"बात की पहल तो करनी होगी न,तुम कहो तो में करूँ" 

"नहीं विनय... तुम नहीं जानते उन्हें तो चलो फिर आज जान-पहचान कर ही लेते हैं "विनय ने चुटकी ली।

"विनय ये जो जातियों का बंटवारा है न, बड़ी गहरी पैठ है इसकी, योग्यता फीकी पड़ जाती है इसके आगे;लेकिन पहल तो करनी होगी न !!

"अचानक एक निश्चयात्मक स्वर को सुन विनय ने आश्चर्य से देखा अनु को।

"पापा ये विनय है कम्प्यूटर साइंस में एम.एस. सी है गवर्नमेंट इंजीनियर है और मैं इनसे प्यार करती हूँ,हम शादी करना चाहते हैं। लेकिन ये ब्राह्मण नहीं!" एक साँस में अपनी बात कह गई अनु।

आज अनु ओर विनय की शादी आर्यसमाज में हुई और उधर अनु के कर्मकांडी पिता ने समाज के कुछ लोगों को बुलाकर अनु का अंतिम संस्कार किया।



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