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Rohit Verma

Abstract

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Rohit Verma

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असल जिंदगी

असल जिंदगी

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सुंदर ज़िन्दगी बनाने के लिए खुद को सुंदर करना पड़ता है और जो आस - पास बदसूरत है उसको भी उस सुंदरता की हवा लग जाती है अरे ! खुद से प्रेम करना सुंदरता से कम नहीं . गुलाब अपने रंग से और खुशबू से खुशी दे देता है पैसों का क्या मोल दिल को ही इतना अनमोल बना लो . संसार हमें सुंदर कब दिखता है जब सुंदरता की पहचान की हो .काँटे तो हर कोई बिछा कर चला जाएगा गुलाब खुद ही बनाना है . हर कोई चमक के पीछे भाग रहा है लेकिन खुशी तराश कोई नहीं कर रहा. खुद का प्रेम जिस ने तराश लिया उसने आंनद लिया ना तो वो अपनी ज़िन्दगी दूसरों के भरोसे करके चल दिया. हर इंसान अकेला है यहां प्रेम की तलाश में है शायद . लगता है ज़माना बदल गया और कामदेव ने भी धरती पर आना बंद कर दिया है . गुलाब जब खिल जाता है तो हर कोई खरीदने की सोचता है और जब वह मुरझा जाए तो हर कोई फेंक देता है . हम सब भगवान की नज़र में बच्चे है हम सब थोड़े कच्चे है. मीठा हमारे अंदर मिठास लाता है वह कम लोगो के अंदर ही नज़र आता है ।


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