सुरभि शर्मा

Tragedy

4  

सुरभि शर्मा

Tragedy

अफवाहों की आग

अफवाहों की आग

1 min
183



चपर - चपर पकौड़े को अपने मुँह में दबाते हुए साथ ही गर्म - गर्म चाय सुटकते वर्मा जी की जुबान बहुत तेज चल रही थी और मिसेज वर्मा किचन से अपने कान बाहर लगाए हुए थी।


"अरे सुना है तुमने कुछ वो जो चार घर छोड़ कर चौधरी जी रहते हैं न जिनकी बिटिया बाहर नौकरी करती है उसने शादी कर ली है| सुनने में आ रहा है कि शादी 6 महीने पहले ही कर ली थी पर लोगों को पता अब चल रहा है।पाँव भारी हैं शायद उसके अब, तो पता चला सबको।"


"ऐसा कैसे हो सकता है चौधरी भाईसाहब ने आपसे ये कहा?"


"नहीं उन्होंने तो नहीं कहा वो जनार्दन बाबू हैं न उनकी बिटिया और चौधरी की बिटिया दोस्त हैं तो शायद ये खुफिया खबर वहीं से निकली है, सच ही होगा क्योंकि धुंआ वहीं उठता है जहाँ आग होती है।"


"सुनिए जरा वहां बगल में टेबल पर देखिए, चौधरी भाईसाहब आज सुबह ही शादी का कार्ड देकर गए हैं अपनी बिटिया का और हाँ कभी - कभी किसी पचड़े में न पड़ने वाले सीधे - साधे लोगों की जिंदगी में कुछ शैतान दिमाग के लोग जबर्दस्ती आग लगा कर धुआं उठाने की कोशिश करते हैं।"



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy