Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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अनुमति

अनुमति

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जब प्रिया ने अपने ससुर को उसी की हमउम्र महिला के लिए झुककर अपार्टमेंट का गेट खोलते देखा तो उसका कलेजा मुंह को आ गया। जब उससे रहा नहीं गया तो उसने पास खड़ी अपनी सास से कहा "मम्मी जी जब आप पापा जी को खुद के झूठे चाय के कप उठाने की इजाजत भी नहीं देती हो और ना ही आप ही उठाती हो लेकिन चाहती हो कि हम बहुएँ ही उठाएं तो फिर आपने किसी दूसरी मेरी हमउम्र महिला के लिए गेट खोलने की अनुमति कैसे दे दी ?

क्या अब आप छोटा महसूस नहीं कर रही है"। प्रिया की सास निरुत्तर थी। लेकिन अब प्रिया के कलेजे में ठंडक थी।


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