niranjan niranjan

Tragedy

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Tragedy

अनोखा मिलन

अनोखा मिलन

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जीवन जीने की कला है इसको जीने के लिए हर व्यक्ति अपना अपना हुनर दिखाते हैं ।बहुत से लोग इसको खुशी से और आनंद के साथ जी लेते हैं। बहुत से लोग अपने जीवन को नरक बना लेते हैं और वह जीवन जीना नहीं चाहते परंतु मर भी नहीं सकते। ऐसा ही कुछ रामजीवन के साथ हुआ।रामजीवन एक साधरण परिवार का लड़का है ।उसके माता-पिता खेती का काम करते हैं और वह एक प्राइवेट बैंक में कैशियर के पद पर काम करता है। रामजीवन की शादी एक पढ़ी-लिखी लड़की से करा दी जाती है ।शादी के कुछ दिन तक वह प्यार से गुजरते हैं परंतु धीरे-धीरे दोनों में अनबन शुरू हो जाती है। वह दोनों एक दूसरों को बोझ समझने लगते हैं। एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं पर क्या करें उनके एक 5 साल की बच्ची जो है। अब दोनों एक दूसरे से अलग भी नही रह सकते।

अब तो घर में हर रोज लड़ाई का माहौल रहने लगा। जैसे ही रामजीवन घर में आता लड़ाई शुरू हो जाती थी। एक दिन झगड़ते वक्त बच्ची को दोष देने लगे रामजीवन ने कहा “ मुझे कोई शौक नहीं था पैदा करने का“और यही शब्द रामजीवन की पत्नी नहीं कहे।

वह बच्ची यह सब नजारा देख रही थी उसने कहा “ मम्मी पापा मुझे शौक था तुम्हारे पास आने का, तुम्हारा प्यार पाने का ।“यह शब्द सुनकर रामजीवन और उसकी पत्नी सुबक सुबक रोने लगे दोनों एक दूसरे के गले मिल गए ।बच्ची उनकी टांगों में चिपक कर सब नजारा देख रही थी।



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