अनमेल रिश्ते
अनमेल रिश्ते
रिश्ते प्यार के कच्चे धागे से बंधे होते हैं जो जन्मोजन्म साथ निभाते हैं ।रिश्ते हमारे सुख- दुख के साथी होते हैं ।अनमेल रिश्ते जो कुछ समय के लिए बनते हैं और जब भी टूटते हैं तो हमें जिंदगी भर का दुख दे जाते हैं। हमें पल पल जीने को मजबूर करते हैं। शायद ऐसा ही प्रीति के साथ हुआ था।
प्रीति साधारण परिवार की लड़की है ।वह गांव में परिवार के साथ रहती है ।उनका परिवार खेती बाड़ी का काम करता है।परिवार में माता-पिता , भाई बहन ,दादा-दादी हैं। परिवार का माहौल बड़ा ही खुशनुमा रहता है सभी एक दूसरे को जी भर कर प्यार करते हैं।
प्रीति भाई बहनों में सबसे बड़ी थी ।उसने m.a. B.Ed की पढ़ाई पूरी कर ली थी अब उसका पिता उसकी शादी करना चाहता था।परंतु वह चाहती थी कि वह टीचर बनकर शादी करें परंतु घरवालों के निर्णय को वह एक अस्वीकार नहीं कर सकती थी क्योंकि यह परिवार के संस्कार थे।
प्रीति भोली भाली और संस्कारित लड़की थी ।वह संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी थी और घर में सभी भाई बहनों में बड़ी थी इसलिए वह हर बातों का बहुत ध्यान रखती थी।
प्रीति के पिता ने प्रीति का रिश्ता पास के गांव में नौकरी लगे हुए एक लड़के के साथ कर दिया।
प्रीति की शादी बड़ी धूमधाम से की गई ।प्रीति के पिता ने शादी में बहुत सारा देहज दिया था और मान सम्मान में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी। सभी लोग और रिश्तेदार उनकी सराहना कर रहे थे।
प्रीति का पति मनोज जो कि 12वीं पास करके नौकरी लग गया था जो कि प्रीति से कम पढ़ा लिखा था ।वह प्रीति के सामने खुद को हीन महसूस करता था। वह चाहता था कि अब प्रीति आगे की पढ़ाई ना करें और किसी भी प्रकार की नौकरी ना करें। वह घर पर रहकर घर का ही काम करें।
वही प्रीति पढ़कर नौकरी करना चाहती थी वह अपनी पढ़ाई तल्लीनता से कर रही थी क्योंकि जो उसने स्वपन देखे थे उन्हें वह पूरा करना चाहती थी।
धीरे-धीरे दोनों में इस बात को लेकर मनमुटाव होने लगा प्रीति को बड़ा दुख होता था जब है इस बात को सुनती थी कि "यह घर पर रहकर ही घर का काम करेगी।"
मनोज प्रीति के सामने कुछ कर नहीं पा रहा था अब वह प्रीति को शक की दृष्टि से देखने लगा था। वह उस पर कभी कभार गुस्सा होता तो उसे बहुत सी गाली देता था ।वह नहीं चाहता था की प्रीति आगे पढ़ें।
दोनों की लड़ाई में को लेकर मनोज का परिवार परेशान रहने लगा। वह चाहता था की प्रीति पढ़ें परंतु मनोज इस बात को लेकर बिल्कुल भी तैयार नहीं था क्योंकि दोनों में पढ़ाई का अंतर बहुत ज्यादा था और उसी के साथ सोचने का दृष्टिकोण भी दोनों का अलग था। मनोज जिस तरीके से प्रीति को शक की दृष्टि से देखता था ।वैसा प्रीति में कुछ भी नहीं था परंतु वह प्रीति पर शक करने लगा था।
दोनों का एक- दूसरे पर से विश्वास उठ गया और एक दिन दोनों इसी बात को लेकर उलझ पड़े। मनोज को गुस्सा आया और मनोज ने प्रीति के थप्पड़ लगा दिया। प्रीति ने यह बात अपने घर वालों को बताइए। घर वाले मनोज के घर पंचायत लेकर और प्रीति का पिता प्रीति को अपने साथ ले आया।
घर आने पर प्रीति ने फैसला किया कि वह मनोज के साथ नहीं रहेगी ।घरवालों ने अपनी इज्जत के लिए प्रीति को खूब समझाया पर वह नहीं मानी क्योंकि प्रीति अपने सपनों को तोड़ना नहीं चाहती थी । उसका विश्वास मनोज से पूरी तरह से उठ चुका था। प्रीति और मनोज के विचारों में विरोधाभास पनपने लगा था।
प्रीति कुछ अलग सोचती थी तो मनोज उसके गलत मायने निकाल लेता था और आपस में झगड़ा हो जाता था क्योंकि मनोज अपनी छोटी सोच के कारण उस पर हर रोज ने आरोप लगाता था ।
काफी समझाईश के बाद जब प्रीति नहीं मानी तो मनोज और प्रीति में तलाक हो गया। जिन्होंने फैरों के वक्त सात जन्म निभाने की कसमें खाई थी। वह आज एक जज के सामने कांच की तरह टूट कर बिखर गई।
इस तलाक का प्रमुख कारण था अनमेल रिश्ते। यदि प्रीति के पिता उस वक्त योग्य लड़का का ढूंढता तो निश्चित ही आज यह नौबत नहीं आती ।एक नौकरी के चक्कर में 2 बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो गयी।
इसलिए हमें हमारे रिश्ते बनाते समय बहुत सारी चीजों का ध्यान रखना चाहिए ताकि ऐसा फिर ना हो।