Viral Rawat

Tragedy

3  

Viral Rawat

Tragedy

अनाथ कौन?

अनाथ कौन?

3 mins
370


भास्कर और मीना की शादी को आज आठ साल पूरे हो गये थे। सुबह से ही फोन पर बधाइयों का क्रम चल रहा था। बधाई देने वालों को शायद पता नहीं था की आज घर में एक और खुशी आने वाली है। शादी के आठ साल बाद भी इस दंपत्ति को कोई संतान नहीं थी। अतः इन्होंने पास के ही एक अनाथाश्रम से एक बेटा गोद लिया। बेटे को खूब लाड-प्यार मिलता था। उनका बेटा मयंक भी बहुत होशियार था। भास्कर और मीना हमेशा अपने बेटे का जन्मदिन उसी अनाथाश्रम में मनाते थे। वो मयंक के हाथों कपड़े और मिठाइयाँ बंटवाते थे।

मयंक जानता था की भास्कर और मीना उसके असली माँ-बाप नहीं हैं फिर भी वो उन्हें प्राणों से अधिक स्नेह करता था। 

समय बीतता गया और मयंक एम.बी.ए. की डिग्री पूरी करके दूसरे शहर में नौकरी करने लगा। उसकी कमाई बहुत अच्छी थी लेकिन काम बहुत पड़ता था। शुरू में वो रोज सुबह-शाम मम्मी-पापा से बात करता था लेकिन धीरे-धीरे ये सिलसिला दिन में एक बार, फिर हफ्ते में एक बार और फिर महीने में एक बार हो गया।वह घर भी सिर्फ दिवाली में ही आता था।


धीरे-धीरे उसका आना भी बंद हो गया। आये-गये बस फोन पर बात हो जाती थी। उसने माँ-बाप को बिना बताये शादी भी कर ली। बीते ४ सालों से वो घर नही आया।इससे बूढ़े भास्कर और मीना टूट से गये। 

जिस आसरे से उन्होंने बेटा गोद लिया था वो धूमिल हो चुका था।उन्होंने अपना घर और खेत बेच दिये और जो पैसे मिले उन्हें उसी अनाथाश्रम को दान कर दिया मानो सालों पहले वहाँ से लिये गये बच्चे का मोल अदा कर रहे हों। वो दोनों उसी अनाथाश्रम में ज़िन्दगी बसर करने लग गये।

इधर मयंक का तबादला भी अपने पैतृक शहर में हो गया। पहले तो वह अपने घर गया तो पता चला की अब उसके माँ-बाप वहाँ नहीं रहते। उसने पास ही एक किराये का मकान ले लिया। मयंक की शादी को भी ५ साल हो गये पर उसे भी कोई संतान न हुई। वो अपनी पत्नी के साथ उसी अनाथाश्रम में बच्चा गोद लेने पहुँचा।

उस अनाथाश्रम के केयरटेकर भगवत प्रसाद जी थे जो मयंक को जानते थे। उन्होंने बच्चा देने से मना कर दिया।कारण पूछने पर उन्होंने कहा-

" जिस बेटे ने जीवन रहते अपने माँ-बाप को ही अनाथ कर दिया वो एक अनाथ बेटे के साथ क्या करेगा?"

भास्कर उस समय मीना को मैदान में झूला झुला रहे थे।उनकी ओर संकेत करते हुए भगवती प्रसाद बोले-

"जब वो एक अनाथ को गोद लेने यहाँ आये थे तब इन्हें नहीं पता था की एक दिन उन्हें ही अनाथ होकर यहाँ आना पड़ेगा।"

मयंक सारा माजरा समझ चुका था। वो भागकर गया और अपने मम्मी-पापा के क़दमों पर गिर पड़ा। पश्चाताप के आंसुओं से उसने अपने माँ-बाबूजी के चरण धो दिये और उन्हीं आंसुओं में उसके दिल का मैल भी धुल गया।रुंधे गले से सुबकते हुए मयंक बोला-

"पापा-मम्मी! आप से किसने कह दिया की आप अनाथ हो। अनाथ तो मैं था और आज भी हूँ। जो बेटा अपने माता-पिता के दुःख में उनकी सेवा का पात्र ना हो सका, उससे बड़ा अनाथ इस संसार में और कौन होगा?"

भास्कर और मीना सजल नेत्रों से सिर्फ अपने बेटे को निहार रहे थे।

मयंक ने उन्हें घर ले जाने का प्रयत्न किया लेकिन वे नहीं माने, तो मयंक और उसकी पत्नी भी वहीं आश्रम में रहने लगे। अब पूरा आश्रम ही उनका परिवार था और शायद अब वहाँ कोई अनाथ नहीं बचा था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy