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Rubita Arora

Abstract Inspirational

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Rubita Arora

Abstract Inspirational

ऐसी भाभी ईश्वर सबको दे

ऐसी भाभी ईश्वर सबको दे

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सुनैना की आज शादी की पच्चीसवीं सालगिरह हैं। सुबह पति संजय ने गले लगा बधाई दी। उसके बाद परिवारजनों और फिर रिश्तेदारों की बधाइयां मिलनी शुरू हो गई। दोनों पति पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं है। शाम को एक छोटी सी पार्टी रखी गई । दोनों पतिपत्नी एक दूसरे का हाथ हाथों में थामे किसी नवविवाहित दुल्हा दुल्हन से कम नहीं लग रहे। तभी संजय ने कहा, मुझे लगता है सारे मेहमान पँहुच चुके है तो फिर चलो न केक काटते हैं, पर सुनैना की नजरें अभी भी बाहर मेन गेट पर टिकी हैं। एक तरफ जहां संजय समझ नहीं पा रहा था आखिर किसका इंतजार किया जा रहा है, वही दूसरी तरफ सुनैना समझ नहीं पा रही थी अभी तक उसकी प्यारी भाभी भैया के साथ पँहुची क्यों नहीं। मन मे एक ही डर सता रहा था क्या भाभी ने अब तक माफ नहीं किया।

भैया भाभी की राह देखते हुए न जाने कब सुनैना पुरानी यादों में खो गई और उसे वे पल याद आते है जब उसने अपने पति संजय को सैक्रेटरी के साथ घूमते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। टूटे विश्वास के साथ अब वह संजय के साथ रिश्ता नही निभाना चाहती थी। संजय के बार बार माफी माँगने के बावजूद ससुराल छोडकर मायके चली आई। पापा तो बहुत पहले दुनिया छोड़ चुके थे। किसी तरह बडे भाई ने ही पढालिखाया और फिर संजय के साथ खुशी से विदा किया। परन्तु आज सुनैना रोते हुए बोली, भैया! मेरे साथ बहुत बडा विश्वासघात हुआ है। अब मैं किसी भी हालत में संजय के साथ नहीं रहूंगी। पढी लिखी हूँ, यही रहकर नौकरी करूंगी, आपको कोई परेशानी नहीं होने दूंगी। रोती हुई सुनैना को देखकर जहाँ माँ और भैया का दिल पसीज उठा और उसे गले लगाकर उसके फैसले में सहमति दी, वहीं भाभी नीता कठोर स्वर मे बोली, यह घर भी आपका अपना है, आप जब तक चाहो रह सकती हो,परन्तु याद रखना दीदी हमने आपको यहां मायके में बिठाने के लिए नही ब्याहा था। अपनी प्यारी भाभी के मुंह से इतने कठोर स्वर सुनकर सुनैना अवाक रह गई। मां और भाई भी नीता की बात सुनकर बहुत नराज हुए लेकिन सुनैना के तो स्वाभिमान को बहुत गहरी चोट लगी।अपमानित होकर मायके में बिल्कुल नहीं रहना चाहती थी। सामान उठाकर अपने ससुराल वापिस चली आई जहां कुछ ही दिनों में संजय ने सुनैना से माफी मांगते हुए अपने आप को पूरी तरह बदल लिया और आज दोनों सुखद विवाहिक जीवन जी रहे हैं।

पति पत्नी का रिश्ता तो समय के साथ बहुत मजबूत होता गया लेकिन ननद भाभी के रिश्ते में हमेशा के लिए कडवाहट आ गई। जब तक मां जिंदा थी सुनैना कभी कभार मां से मिलने मायके जाती परन्तु भैया भाभी से ज्यादा बात न करती।समय बीता। अभी पिछले दिनों सुनैना की मुलाकात अपनी भाभी की खास दोस्त पायल से हुई तो उसने बताया नीता पिछले कई दिनों से अस्पताल में दिल की बीमारी से जूझ रही हैं। यह सुनकर भी सुनैना ने बेरूखी दिखाई तो पायल बोली, उस समय तुम्हारे मायके जाने पर संजय बहुत परेशान था। उसनें नीता के सामने माफी मांगते हुए सुधरने का एक मौका माँगा ताकि तुम लोगों का घर हमेशा के लिए टूटने से बच सके।नीता को संजय की आँखों में सच्चाई नजर आई।बस इसीलिए उसने तुम्हारा घर टूटने से बचाने के लिए एक कोशिश की और वह उसमें सफल भी हो गई। सोच अगर उस दिन वह भी अन्य सबकी तरह भावनाओं में बहकर तुम्हारा साथ देती तो क्या आज तुम गृहस्थी का सुख ले पाती। आज तुम्हारे जीवन में आने वाली सारी खुशियों का आधार कोई और नहीं तुम्हारी अपनी भाभी हैं जो आजीवन तुम्हारी नफरत का गम झेलते हुए आज अस्पताल के बिस्तर पर पडी जिंदगी और मौत से लड रही हैं।यह सब सुन सुनैना को अपने आप पर शरम महसूस हो रही थी। अब एक पल की भी देरी किए बिना जल्द से जल्द अस्पताल पँहुच कर अपनी भाभी का हाथ थामकर कहना चाहती थी अकेली नहीं है वह इस लडाई मे।

तभी बाहर गाड़ी रूकने की आवाज सुनते ही सुनैना वर्तमान में लौट आई।भागकर भाभी के गले लगकर उन्हें बडे प्यार से अंदर लाते हुए ईश्वर से अपनी भाभी की लंबी उम्र की कामना करते हुए कहती हैं ईश्वर ऐसी भाभी सबको दे।


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