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Krishna Raj

Romance

3  

Krishna Raj

Romance

अधूरी डायरी...

अधूरी डायरी...

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किसे आया जिंदगी को पूरी तरह जीना, कुछ तो कमी रह ही जाती है, दो दिल मिलकर प्यार के गीत गाते हैं, दिल के ज़ज्बात को तराने बनाकर छेड़ता है, उपर से बनकर आए रिश्तों को निभाता है, फिर भी चेहरे पर सुकून या पूर्णता का एहसास नजर नहीं आता, क्या पूरा प्यार पाने में फिर कोई कमी रह जाती है???

शायद इसीलिए जिंदगी अधूरी नजर आती है, जज्बातों को शब्दों का रूप देकर कागज पर बिछा देते हैं, और फिर शब्दों के जाल में एहसास उलझ जाते हैं... 

किस्से कहानी, ग़ज़ल, शायरी पढ़कर या लिखकर दिल तो बहल जाता है, फिर भी जो कहना चाहते हैं उसे समझाने फिर कमी सी रह जाती है...

हर निगाह कुछ नया तलाशती है, सब कुछ पा कर भी एक प्यास रह जाती है, एक आस रह जाती है... 

जिंदगी की डायरी भला कब पूरी होती है, एक भरती है तो दूसरी शुरू हो जाती है....एहसास, ज़ज्बात, भावनाएँ भला कब खाली हुए हैं..

अधूरी डायरी के कुछ अधूरे अल्फाज़.. 

वो कहते हैं मुझे अच्छी लड़की, पर दर्द से भरी, खुशी अधूरी.. 

सुन्दर से ज़ज्बात, वो भी अधूरे से.. 

प्यारा सा रिश्ता, किसी की चाहत, मगर अधूरा सा.. 

अच्छी सी तकदीर, जिसकी उम्र अधूरी सी.. 

किसी के ख्वाबों की मूरत, बिल्कुल अधूरी सी.. 

चाँद हूं किसी आसमां का मगर अधूरा सा... 

पूरा वजूद हूं मैं, पर उन बिन अधूरा सा... 

बस इतनी सी कहानी मेरी, पर अधूरी सी.. 

उनकी कुछ मजबूरी थी, कुछ बातें दिल में रह गई,

और एक बार फिर मेरी कहानी अधूरी रह गई...



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